Lateral Entry In Bureaucracy: आखिर नौकरशाही में लेटरल एंट्री को लेकर क्यों छिड़ी है सियासी बहस? आइये जानते है डिटेल में इसके बारे में !

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Lateral Entry In Bureaucracy: केंद्र सरकार ने ऊंचे पदों पर अधिकारियों को भरे जाने के लिए हाल ही में एक विज्ञापन निकाला है। सरकार के इस विज्ञापन पर विपक्षी तो सवाल उठा ही रहे हैं, अब एनडीए घटक दल के नेता भी मोदी सरकार को घेरने लगे हैं। एनडीए घटक दल के नेता अब इसमें आरक्षण की मांग करने लगे हैं। यहां जानना ये भी जरूरी है कि विपक्ष द्वारा हाल ही में पूरा लोकसभा का चुनाव आरक्षण के मुद्दे पर लड़ा गया था। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यदि नरेंद्र मोदी की सरकार तीसरी बार बन गई तो देश में आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा।

आइये जानते हैं, आखिर ये विज्ञापन है क्या?

ये विज्ञापन संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 17 अगस्त को ‘लेटरल एंट्री भर्ती’ को लेकर निकाला है। इस विज्ञापन में कहा गया कि विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के 45 पदों पर जल्द ही विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे। शासन की सुगमता के लिए नई प्रतिभाओं को शामिल करने के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत यह भर्ती होगी

मनमोहन सिंह समेत इन लोगों की नौकरशाही हुई थी लेटरल एंट्री

आपको ये भी जानना बहुत जरूरी है कि यूपीएसी की ओर से जो विज्ञापन निकाला गया है यह कोई पहली बार नहीं है। इसके पहले की सरकारें भी ऐसे ही विज्ञापन निकाल कर लेटरल एंट्री के जरिए पदों पर भर्ती किया करती थीं। सबसे रोचक बात ये है कि लेटरल एंट्री से ही पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, योजना आयोग (नीति आयोग) के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलुवालिया और सैम पित्रौदा की भी लेटरल एंट्री के जरिए ही नौकरशाही का जिम्मा दिया गया था

क्या है लेटरल एंट्री?

लेटरल एंट्री को सीधी भर्ती भी कहा जता है। इसमें उन लोगों को सरकारी सेवा में लिया जाता है, जो अपनी फील्ड में काफी माहिर होते हैं। ये IAS-PCS या कोई सरकारी A लेवल के कैडर से नहीं होते हैं पर इन लोगों के अनुभव के आधार पर सरकार अपने नौकरशाही में इन्हें तैनात करती है। इसमें 3 से 5 साल के लिए लोगों को रखा जाता है। काम के आधार पर आगे भी रखा जा सकता है। मोदी सरकार ने 2018 में औपचारिक तौर पर लेटरल एंट्री शुरू की थी। इसके पहले 2005 में UPA सरकार ने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया था। इसमें बताया गया कि मंत्रालयों में कुछ पदों पर स्पेशलाइजेशन की जरूरत है। ये नियुक्ति लेटरल एंट्री से कराई जाएगीऔर इसमें कोई आरक्षण प्रक्रिया लागू नहीं होती है।

तो अब क्यों अचानक छिड़ा है विवाद?

यूपीएससी द्वारा संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के लिए जो 45 पदों की लेटरल एंट्री से भर्ती निकाली गई है, उसमें अब आरक्षण की मांग उठने लगी है। कांग्रेस सांसद व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री में आरक्षण का मुद्दा उठाया है। साथ ही एनडीए के घटक दलों ने भी लेटरल एंट्री विवाद में कूद पड़े हैं। मोदी सरकार में शामिल लोजपा (आर) के नेता चिराग पासवन और जेडीयू नेता केसी त्यागी ने लेटरल एंट्री में आरक्षण की मांग कर दी है।