लखनऊ/उत्तर प्रदेश: यूपी की नई शराब नीति को सीएम योगी आदित्यनाथ की मंजूरी मिले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने एक्स पर यूपी की नई शराब नीति पर सवाल उठाया है। रेलवे और मेट्रो स्टेशनों पर शराब बेचने की योजना की आलोचना करते हुए अखिलेश यादव ने सवाल किया है कि क्या उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन इकोनॉमी वाला राज्य बनाने का यही तरीका है?
बता दें कि दिल्ली में शराब नीति लागू होने से मनीष सिसौदिया और संजय सिंह जैसे नेताओं को जेल जाना पड़ा। जिसके बाद दिल्ली सरकार को यह नीति पलटनी पड़ी और उसके स्थान पर पुरानी शराब नीति को ही लागू किया गया था। अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नई शराब नीति को मंजूरी दे दी है। इस नई नीति के तहत रेलवे और मेट्रो स्टेशनों पर प्रीमियम शराब ब्रांड भी उपलब्ध होंगे। इसके अलावा शराब की दुकानें हासिल करने के लिए लाइसेंस फीस भी बढ़ा दी गई है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पेश की गई शराब नीति में लाइसेंस शुल्क में वृद्धि शामिल है, जिससे लाइसेंस प्राप्त करने के लिए 10% अतिरिक्त भुगतान की आवश्यकता होगी। देशी शराब के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया गया है। वहीं, देशी शराब की लाइसेंस फीस को 254 रुपये प्रति लीटर और ड्यूटी शुल्क को 30 से रु. 32 प्रति लीटर कर दिया गया है।
यूपी में अब शराब की दुकानों पर पुलिस नहीं लेगी एक्शन!
बता दें कि नई नीति में यह भी कहा गया है कि पुलिस के पास अब किसी भी थोक या खुदरा शराब की दुकान को सील करने का अधिकार नहीं होगा। सिर्फ जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेने के बाद ही शराब की दुकान के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। यदि उत्पाद विभाग के अधिकारियों और लाइसेंस जारी करने वाले जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियों या अधिकारियों के अलावा अन्य एजेंसियां या अधिकारी शराब, बीयर या भांग बेचने वाली दुकानों पर छापेमारी करते हैं, तो घटना की वीडियो-रिकॉर्डिंग करना अनिवार्य है।
शादी और पार्टियों में आधी रात तक परोसी जाएगी शराब!
इसके अलावा, शादियों, पार्टियों और अन्य कार्यक्रमों में आधी रात तक शराब परोसी जा सकती है। यदि छोटी बीयर दुकानों के पास कम से कम 100 वर्ग मीटर की अलग जगह है, तो वे 5,000 रुपये का अतिरिक्त शुल्क देकर लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था कर सकते हैं। जिलाधिकारी के अनुमोदन पर जिला आबकारी अधिकारी इसकी अनुमति देंगे।