Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस के 3 बड़े नेताओं ने दिया इस्तीफा, फिर भी कांग्रेस को क्यों नहीं पड़ा फर्क ?

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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही नेताओं का दल बदलने का खेल एक बार फिर चरम पर है. कोई कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जा रहा है तो कोई बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम रहा है. और हाल ही में, कांग्रेस के ऐसे तीन नेताओं ने कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया, जो पहले मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.

इन नेताओं में बॉक्सर विजेंदर सिंह, गौरव वल्लभ और संजय निरुपम शामिल हैं। ये वही नेता हैं जो कुछ दिन पहले तक मोदी सरकार पर हमलावर थे, लेकिन बीजेपी में शामिल होते ही उनके सिद्धांत बदल गए. इससे सवाल उठता है कि क्या इन नेताओं का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है?

पहली बात तो यह कि इन नेताओं के पास कोई बड़ा जनाधार नहीं था. कांग्रेस में रहते हुए भी वह पार्टी के लिए उतने खास नहीं थे. पिछले चुनाव में भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. ये तीनों नेता अलग-अलग राज्यों से आते हैं और इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है.

दक्षिण दिल्ली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले बॉक्सर विजेंदर सिंह को रमेश विधूड़ी ने पटखनी दी थी। इस हार के बाद कुछ दिनों तक वह राजनीति से दूर हो गए. पिछले साल ये भी खबर थी कि वो राजनीति से संन्यास ले लेंगे. मगर ऐसा हुआ नहीं. हालांकि, इस दौरान वो मोदी सरकार पर लगातार हमलावर रहे. कुछ दिनों पहले तक ये खबर थी कांग्रेस उन्हे मथुरा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है लेकिन इससे पहले विजेंदर ने कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ दिया.

उदयपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके गौरव वल्लभ ने भी कांग्रेस नेतृत्व का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने सनातन और राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना की है. पिछले विधानसभा चुनाव में गौरव वल्लभ उदयपुर से चुनाव लड़े थे. मगर उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था.

संजय निरुपम भी कांग्रेस के लिए अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके और उन्हें भी दो लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में इन नेताओं का जाना कांग्रेस के लिए कोई बड़ा झटका नहीं है. उनका प्रदर्शन और लोकप्रियता भी उतनी अच्छी नहीं थी, जिसके चलते उनका बाहर जाना पार्टी के लिए कोई बड़ा नुकसान नहीं है. अब देखना होगा कि बीजेपी में इन नेताओं का समर्थन कितना रंग लाता है और क्या ये अपनी नई पार्टी में सफलता हासिल कर पाते हैं.

लेखक: करन शर्मा