दिन में 3 बार रंग बदलता है आम, देखकर हर कोई हो जाता है अचंभित, कीमत जान उड़ जाएंगे होश!

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हरदोई/उत्तर प्रदेश: आमों का सीजन चल रहा है और बाजर में हर तरफ आम ही आम नजर आ रहे हैं। वैसे तो बाजर में हर किस्म का आम बिक रहा है, मगर कुछ आम ऐसे हैं जो बाकी आमों से कई गुना ज्यादा कीमत पर बिक रहे हैं। उनमें नाम आता है।

दशहरी, चौसा, लंगड़ा, लेकिन अंबिका आम इन सबसे भी कई गुना कीमत पर बिक रहा है। इस आम की खास बात ये है कि ये दिन में 3 बार अपना रंग बदला है। यानी सुबह, दोपहर और शाम तीनों समय में इस आम का रंग अलग होता है। अंबिका बैंगनी, हल्का लाल, पीला और हरा रंग बदलता रहता है

मलिहाबाद नहीं हरदोई में मिलता है ये आम

वैसे तो आमों के लिए लखनऊ जनपद का मलिहाबाद पूरे विश्व में जाना जाता है, लेकिन हरदोई भी आम के मामले में पीछे नहीं है। जनपद के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार की अमया की वैरायटी विदेशों तक धूम मचाये है।

लेकिन हरदोई जिले के बावन ब्लाक के निजामपुर गांव निवासी अस्सी वर्षीय अब्दुल सलाम के बाग के आम बेहद खास है। अब्दुल सलाम ने बताया कि उन्होनें छठवीं तक पढ़ाई की और फिर खेती किसानी में जुट गए।

लकड़ियों के लिए लगाया था पहला पेड़

1974 में देशी आम का पहला पेड़ यह सोच के साथ लगाया था कि पेड़ की लकड़ियां ईंधन के काम आएंगी और आम अचार बनाने के काम आएगा। इसके बाद धीरे-धीरे आम की अन्य किस्में दशहरी,चौसा,लंगड़ा एवं सफेदा आदि के पेड़ लगाए।

अब्दुल सलाम ने बताया कि 1984 में उद्यान विभाग के अधिकारी उनके बाग में आये और उन्होंने आम की नई किस्में लगाने को प्रेरित किया और इसमें पूरी मदद देने की बात कही जिसके बाद उद्यान विभाग ने आम्रपाली,सनसेशन, टॉमी और अंबिका सहित कई किस्मों के पेड़ उपलब्ध कराए।

आम ने बदल दी अब्दलुल की किस्मत

आम से सम्बंधित गोष्ठियों में उन्हें बुलाया जाने लगा और उसमें वैज्ञानिकों द्वारा जो भी सुझाव दिए जाते उसको ध्यान में रखते हुए बाग का विस्तार किया। अब्दुल कलाम ने बताया 14 वर्ष पूर्व उद्यान विभाग ने उन्हें अंबिका आम के 40 पौधे दिए थे।

पांच वर्ष बाद उसमें आम लगने लगे। उन्हें बताया यह आम उनके बाग का सबसे कीमती आम है। क्योंकि यह दशहरी,चौसा या अन्य आमों की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा रेट पर बिकता है।

आम कैसे बदलता रंग?

इसका शुरुआती रंग बैगनी होता है और जब यह पकने की स्थिति में होता है तो लाल एवं पीले कलर में हो जाता है। अब्दुल सलाम ने बताया कि इस आम को बेचने के लिए उन्हें मंडी नहीं जाना पड़ता है। बल्कि, व्यापारी उनके बाग में आकर ही इसे खरीद लेते हैं।

यह देखने में जितना खूबसूरत है उतना ही स्वादिष्ट भी है। इस आम की खासियत यह भी है कि इसकी गुठली बहुत छोटी निकलती है और ज्यादातर गूदा ही होता है इस समय जहां दशहरी आम अधिकतम 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा है वहीं, अंबिका के उन्हें 80 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं।

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