मनीष सिसोदिया को अनिश्चित अवधि तक (सलाखों के) पीछे नहीं रख सकते: सुप्रीम कोर्ट

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Manish Sisodia Bail

नई दिल्ली/डेस्क: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कहा कि वे पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मामलों में ‘अनिश्चित अवधि’ के लिए जेल में नहीं रख सकते हैं

शीर्ष अदालत सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उन्हें सीबीआई और ईडी ने आबकारी नीति से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया है. दोनों एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने दोनों जांच एजेंसियों की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजे) एसवी राजू से पूछा कि सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर निचली अदालत में बहस कब शुरू होगी?

बहस तुरंत शुरू होनी चाहिए

पीठ ने राजू से कहा, ‘आप उन्हें अनिश्चित अवधि तक (सलाखों के) पीछे नहीं रख सकते हैं. आप उन्हें इस तरह जेल में नहीं रख सकते. किसी मामले में आरोप पत्र दायर हो जाने के बाद, आरोपों पर बहस तुरंत शुरू होनी चाहिए.’

घंटे भर चली सुनवाई के दौरान, राजू ने कहा कि अगर उपमुख्यमंत्री स्तर का कोई शख्स जो आबकारी विभाग सहित 18 विभाग संभाल रहा है और रिश्वत ले तो एक उदाहरण स्थापित करने की जरूरत है.

सिसोदिया को ज़मानत क्यों नहीं देनी चाहिए

सिसोदिया को ज़मानत क्यों नहीं देनी चाहिए, इस पर राजू ने दावा किया कि धन शोधन के अपराध को दिखाने के लिए सामग्री है और अपने मोबाइल फोन को नष्ट करके सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप को पुष्ट करने के लिए भी पर्याप्त सामग्री है, जो जमानत से इनकार करने के लिए काफी है.

उन्होंने कहा, ‘दबाव डालने का भी एक मामला था जहां एक थोक व्यापारी को अपना लाइसेंस छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था और मानदंडों पर खरी नहीं उतरने वाली कंपनी को लाइसेंस दिया गया.’

राजू ने दिल्ली के कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान का हवाला दिया और दावा किया कि उन्होंने जांच एजेंसियों को बताया था कि सिसोदिया ने रिश्वत ली थी. पीठ ने पूछा कि क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति ली गई है, जिस पर राजू ने हां में जवाब दिया.

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए में यह प्रावधान किया गया है कि लोकसवक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच के लिए सक्षम अधिकारी से पूर्व मंजूरी लेनी होगी.

राजू ने आरोप लगाया कि नई आबकारी नीति ने गुटबंदी को बढ़ावा दिया है और इसे इस तरह से बनाया गया था कि उपभोक्ताओं को अधिक पैसा चुकाना पड़े. हलाकि, सुनवाई बेनतीजा रही और मंगलवार को भी जारी रहेगी.

लेखक: करन शर्मा