‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की मनमोहन सिंह और शेखावत ने भी की थी चर्चा

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नई दिल्ली/डेस्क: पूरे देश में एक साथ चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई, केंद्र सरकार की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक समिति का अध्यक्ष बनाया गया, यह समिति एक कमेटी के रूप में एक साथ पूरे देश में चुनाव करवाने को लेकर विचार करेगी.

देशभर में सारे चुनाव एक साथ करवाने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन एक बड़ा मुद्दा बन गया और पूरे देश में हर एक के दिमाग में यह गूंज रहा है, क्या आप जानते हैं कि इसका सुझाव किसने दिया था, अगर आपको नहीं पता, तो चलिए जानते है.

आज जो पार्टी वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ खड़ी हुई नजर आ रही है, उस समय के पीएम मनमोहन सिंह ने इस पर अपना समर्थन दिया था और राजस्थान के पूर्व सीएम और देश के उपराष्ट्रपति भौरों सिंह शेखावत से इस बारे में बातचीत करने वाले थे. उन पर लिखी एक किताब में ये जिक्र है कि कहां से ये विचार आया और देशभर में ये चर्चा छिड़ी.

भैरोंसिंह शेखावत के साथ 10 साल तक उनके निजी सचिव के रूप में काम करने वाले रिटायर्ड आईपीएस अफसर बहादुर सिंह राठौड़ ने ये किताब लिखी थी, इस किताब के पेज नंबर 134 और 135 पर शेखावत, तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और तत्कालीन राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के बीच हुई बातचीत दर्ज है.

शेखावत ने मनमोहन सिंह को 2 बड़े सुझाव दिए थे

पहला: देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने चाहिए, इससे देश के संसाधनों, धन, ऊर्जा, समय की बचत होगी, भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी, क्योंकि एक साथ चुनाव हुए तो राजनीतिक दलों को अलग-अलग चंदा नहीं लेना पड़ेगा, साथ ही बार-बार लगने वाली चुनाव आचार संहिता से छुटकारा मिलेगा, संहिता लागू होने के बाद कई सारे विकास के काम बाधित होते हैं. जिस वजह से जनता को यह सब झेलना पड़ता है.

दूसरा: छोटे-छोटे राजनीतिक दल जो गठबंधन बनाते हैं, इस पर रोक लगनी चाहिए, सभी को गठबंधन बनाना है, तो फिर एक ही राजनीतिक पार्टी क्यों नहीं बना लेते. जब कभी किसी राजनीतिक पार्टी को बहुमत में कमी होती है, तो छोटे-छोटे राजनीतिक दल ब्लैकमेल करते हैं, जिससे समर्थन देकर गलत फायदा उठाते हैं. इस पर मनमोहन सिंह ने सहमति जताते हुए शेखावत से कहा था कि आपने बिलकुल सही दो बीमारियां बताई हैं और उनका सही उपचार भी बताया.

मनमोहन सिंह ने तब कहा था कि कई बार हम पूरे देश के लिए एक नीति, एक नियम, एक योजना बनाना चाहते हैं.

लेखक: इमरान अंसारी