Godawari Dutta: मिथिला पेंटिंग की शिल्पगुरु कही जाने वाली गोदावरी दत्त का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया है। पद्मश्री पुरस्कार सम्मानित गोदावरी दत्त 93 साल की थी, गोदावरी दत्त ने मिथिला पेंटिग को घर से निकालकर देश दुनिया में पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। लंबी आयु के होने के बाद भी वह अपनी पेंटिंग के हुनर से ऐसी पेंटिंग बनाती रहीं कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
कौन हैं शिल्पगुरु पद्मश्री गोदावरी दत्त ?
शिल्पगुरु पद्मश्री गोदावरी दत्त मिथिला पेंटिंग की एक प्रमुख कलाकार हैं। मिथिला पेंटिंग, जिसे मधुबनी पेंटिंग भी कहा जाता है, भारत के बिहार राज्य की मिथिला क्षेत्र की एक पारंपरिक कला शैली है। यह कला शैली अपनी जीवंत रंगों, जटिल चित्रणों और सांस्कृतिक मिथकों के लिए प्रसिद्ध है। गोदावरी दत्त के योगदान के लिए उन्हें 2018 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार ने उनके कला क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान और मिथिला पेंटिंग के संरक्षण में उनके प्रयासों को मान्यता दी है।
जापान के मिथिला म्यूजियम में प्रदर्शित है इनकी कला
पद्मश्री से सम्मानित गोदावरी दत्त को दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। गोदावरी दत्त पिछले 5 दशक से बिहार मधुबनी में मिथिला पेंटिंग पर काम कर रही थी जहां बड़ी संख्या में लोग मधुबनी पेंटिंग इनसे सीखने आते हैं। अबतक वे कई बार अलग-अलग देशों का दौरा कर चुकी हैं. विदेश में इस शिल्प को स्थापित कर चुकी हैं, इनकी पेंटिंग जापान के मिथिला म्यूजियम में भी प्रदर्शित की गई है।