धीरे-धीरे धरती से गायब हो जाएंगे मोबाइल टावर, क्या है वजह, कैसे मिलेगा इंटरनेट?

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नई दिल्ली: सैटेलाइट कनेक्टिविटी की मदद से बिना इंटरनेट व्यवधान के मोबाइल फोन का उपयोग करना सुविधाजनक हो गया है। इंटरनेट में रुकावट और ऑप्टिकल फाइबर की विफलता के कारण धीरे-धीरे मोबाइल टावरों और ऑप्टिकल फाइबर की जगह सैटेलाइट कनेक्टिविटी ले रही है। इससे सैटेलाइट इंटरनेट की कीमतों में कमी आई है और एआई आधारित स्मार्टफोन की मांग में वृद्धि हुई है।

क्यों हैं खतरें में मोबाइल टावर?

मोबाइल का भविष्य सैटेलाइट इंटरनेट कनेक्शन पर आधारित है और इसकी खराब सेवा के कारण मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर धीरे-धीरे खत्म हो सकते हैं। दरअसल, सैटेलाइट कनेक्टिविटी के कारण हर मौसम में इंटरनेट सेवा सुचारु हो गई है।

अगर हम पूरी तरह सैटेलाइट पर आधारित हो जाते हैं, तो हम हर स्थिति (बाढ़, भूकंप और खराब मौसम) में इंटरनेट सेवा का उपयोग कर सकते हैं। पहले यह मिथक था कि खराब मौसम या भूकंप, बाढ़ जैसी किसी प्राकृतिक आपदा के कारण इंटरनेट सेवाएं बाधित हो सकती हैं, हालांकि, सैटेलाइट कनेक्टिविटी के आगमन के साथ स्थिति बिल्कुल अलग हो गई है। अब ऑप्टिकल फाइबर खराब होने पर भी किसी को डर नहीं रहेगा। हालांकि, उपग्रह के माध्यम से इंटरनेट के प्रसार में समय लगता था, लेकिन समय के साथ स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ है। और निकट भविष्य में स्थिति काफी बेहतर होगी।

क्या है स्टारलिंक?

वर्तमान समय में सैटेलाइट इंटरनेट की कीमत काफी अधिक है। सैटेलाइट इंटरनेट स्टारलिंक जैसी कंपनियों द्वारा पेश किया जाता है, जिसकी मासिक सदस्यता लगभग 5000 रुपये है, लेकिन वर्तमान में स्टारलिंक दुनिया की सबसे बड़ी सैटेलाइट इंटरनेट प्रदाता कंपनी है। लेकिन जियो और एयरटेल स्टारलिंक को टक्कर देने के लिए मैदान में उतर आए हैं। ऐसे में सैटेलाइट इंटरनेट की कीमत में कमी आने की संभावना है।