MSME Day 2024: MSME का मतलब है ‘माइक्रो, स्मॉल और मध्यम उद्यम’ (Micro, Small, and Medium Enterprises) है। ये उद्यम भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित परंपरागत उद्योगों समेत कई सारी उद्यमों को सम्मिलित करते हैं। MSME भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि ये उद्यम विभिन्न उद्योगों में रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं और आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देते हैं। इसी के महत्व को पहचानने, उनके योगदान पर प्रकाश डालने और उनके विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रति वर्ष 27 जून को MSME दिवस मनाया जाता है।
क्या है इस दिन का इतिहास?
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों से इस बात का पता चला है कि MSME कई अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ हैं। वे स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर उद्यमियों को जोड़ते हैं। इसके साथ ही वे युवाओं, कामकाजी वर्ग, महिलाओं और अन्य लोगों को आय उत्पन्न करने के अवसर देते है। इन छोटे और मध्यम व्यवसायों में रोजगार के अवसर पैदा करने, आर्थिक स्थिरता लाने और अंतत: अर्थव्यवस्थाओं को बदलने की शक्ति है। इसलिए, संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर में MSME को प्ररित करने और बढ़ावा देने के लिए इस दिन की शुरुआत की।
MSME का महत्व
यदि MSME को पर्याप्त समर्थन दिया जाए तो वे अर्थव्यवस्थाओं को बदलने, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की क्षमता रखते है।
रोजगार का स्रोत: MSME उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करते हैं। इन उद्यमों में कामकाजी और अनुभवी श्रमिकों की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर स्थानीय समुदायों के लिए विकास और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
राष्ट्रीय आर्थिक विकास: MSME उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में समृद्धि और विकास के लिए अहम योगदान प्रदान करते हैं। ये उद्यम न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि विभिन्न उत्पादों और सेवाओं की पेशकश के माध्यम से आर्थिक वृद्धि में सहायक होते हैं।
सामाजिक समानता: MSME उद्यम सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देते हैं। ये उद्यम विभिन्न वर्गों, समुदायों, और अनुसूचित जातियों के लोगों के लिए आर्थिक स्वावलंबन और समृद्धि के अवसर प्रदान करते हैं।
क्षेत्रीय विकास: MSME उद्यम स्थानीय समुदायों और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का अवसर प्रदान करते हैं। इन उद्यमों के माध्यम से अपार क्षेत्रीय विकास और उन्नति के लिए संभावनाएं उत्पन्न होती हैं।
लेखक: रंजना कुमारी