नई दिल्ली। मुस्लिम धार्मिक नेताओं और विपक्षी दलों ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की वैधता को बरकरार रखने वाले Supreme Court के फैसले का स्वागत किया.
मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने किया फैसले का स्वागत
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अब मदरसे पूरी आजादी के साथ चलते रहेंगे. उन्होंने कहा, सरकार द्वारा बनाया गया कानून असंवैधानिक कैसे हो सकता है? इन मदरसों से हजारों लोग जुड़े हुए हैं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन्हें बड़ी राहत मिली है. अब हम पूरी आजादी के साथ अपने मदरसे चला सकते हैं.
Supreme Court के फैसले पर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने कानून को सही और न्यायोचित पाया है, हम उसका स्वागत करते हैं. देश की आजादी में मदरसों की अहम भूमिका रही है. मदरसों ने हमें कई IAS, IPS, मंत्री और राज्यपाल दिए हैं. मदरसों को शक की निगाह से देखना गलत है. अगर कोई मदरसा गलत रास्ते पर जा रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन सभी मदरसों को शक की निगाह से नहीं देखा जाना चाहिए.
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जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना कबुल रशीदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बहुत बड़ा संदेश दिया है. उन्होंने कहा, “यह एक बहुत बड़ा संदेश है. जमीयत उलमा-ए-हिंद इसका स्वागत करता है. अगर सरकार चाहती है कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा में कुछ सुधार हो, तो हम मिल-बैठकर इस पर चर्चा कर सकते हैं. लेकिन अगर वह कुछ असंवैधानिक थोपती है, तो उसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी.
BSP और SP ने भाजपा पर साधा निशाना
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कहा कि इस आदेश से मदरसों के भविष्य पर अनिश्चितता समाप्त हो गई है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को कानूनी और संवैधानिक घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले का स्वागत है. इससे उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा को लेकर विवाद और हजारों मदरसों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता खत्म हो जाएगी. इसे सही तरीके से लागू करना जरूरी है
समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी देश के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना चाहती है. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने कहा, भाजपा लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना चाहती है. देश की आजादी के बाद मदरसों की स्थापना कानूनी तौर पर की गई थी, लेकिन चूंकि भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ है और नफरत की राजनीति करती है, इसलिए मदरसों के खिलाफ लगातार बातें और बयानबाजी हो रही है.
Supreme Court ने क्या फैसला दिया
ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने ने 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा तथा इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें इस आधार पर इसे रद्द कर दिया गया था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश मदरसा कानून की वैधता को बरकरार रखा है और इसके अलावा किसी कानून को तभी रद्द किया जा सकता है जब राज्य में विधायी क्षमता का अभाव हो.पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने यह कहकर गलती की है कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है.