नौसेना को हुआ 6000 करोड़ का नुकसान, सुरक्षा प्रोटोकॉल पर उठे सवाल!

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21 जुलाई को भारतीय नौसेना के फ्रंटलाइन गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट, आईएनएस ब्रह्मपुत्र, की आग में गंभीर क्षति के बाद नौसेना के सुरक्षा और मरम्मत प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। 2000 में कमीशन किए गए इस युद्धपोत की मरम्मत के दौरान आग लग गई, जिसने इसे गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया। हालांकि चालक दल ने आग पर नियंत्रण पा लिया, लेकिन जहाज की स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि यह एक तरफ झुका हुआ था और सीधा नहीं किया जा सका। इस घटना में एक जूनियर नाविक की मौत भी हो गई, जिनका शव 24 जुलाई को बरामद किया गया।

भारतीय नौसेना की मरम्मत और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल

आईएनएस ब्रह्मपुत्र की दुर्घटना ने भारतीय नौसेना की मरम्मत और रखरखाव प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। 2017 की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2007 से 2016 के बीच भारतीय नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों से जुड़ी 38 दुर्घटनाएं हुई थीं, जो कि ऑपरेशनल तैयारियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। रिपोर्ट ने यह भी दर्शाया कि नौसेना ने एक्सपर्ट और ऑडिट रिपोर्टों के सुझावों के बावजूद आवश्यक सुधारात्मक उपाय लागू करने में विफलता दिखाई है।

आईएनएस ब्रह्मपुत्र का महत्व और उसकी मरम्मत

आईएनएस ब्रह्मपुत्र, जिसे ‘रेजिंग राइनो’ भी कहा जाता है, भारतीय नौसेना के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्वदेशी रूप से निर्मित पहला ब्रह्मपुत्र श्रेणी का निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट है और इसकी लागत 6,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके पास अत्याधुनिक हथियार और सेंसर हैं, जो इसकी ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाते हैं।

हालांकि, जहाज को बचाना एक कठिन कार्य है। इसके विस्थापन (डिसप्लेसमेंट) के कारण, इसे सीधा करने में कठिनाई हो रही है। आईएनएस बेतवा और आईएनएस विंध्यगिरि जैसी घटनाओं जैसे पिछले अनुभवों के आधार पर यह देखा गया है कि जहाजों को सीधा करने और उन्हें परिचालन की स्थिति में वापस लाने में काफी समय लग सकता है।

सीएजी रिपोर्ट और नौसेना की सुरक्षा

सीएजी की 2016 की रिपोर्ट ने 2007 से 2016 के बीच नौसेना की 38 दुर्घटनाओं की समीक्षा की और इसमें सुरक्षा प्रोटोकॉल की आलोचना की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश दुर्घटनाएं आग, विस्फोट या बाढ़ के कारण हुईं, और इन घटनाओं में 33 कर्मियों की मौत हो गई। रिपोर्ट ने चालक दल की गलती और सामग्री की विफलता को प्रमुख कारण बताया।

आईएनएस ब्रह्मपुत्र की हाल की दुर्घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नौसेना को अपने जहाजों की मरम्मत और रखरखाव में सुधार करने की जरूरत है। इन दुर्घटनाओं से न केवल ऑपरेशनल क्षमताओं पर असर पड़ता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अब आवश्यक है कि नौसेना सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।