Insurance Policy Surrender Guidelines: 1 अक्टूबर से बदल जाएंगे सरेंडर वैल्यू से जुड़े नए दिशानिर्देश; जानें क्या होंगे प्रमुख बदलाव?

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Insurance Policy Surrender Guidelines: इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर से संबंधित नए गाइडलाइंस 1 अक्टूबर से लागू हो जाएंगे, जिनका असर बीमा प्रीमियम और एजेंटों के कमीशन पर पड़ सकता है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने इस साल की शुरुआत में जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर करने पर मिलने वाली राशि यानी ‘सरेंडर वैल्यू’ के संशोधित नियम पेश किए थे। ये बदलाव उन पॉलिसीधारकों को बेहतर रिटर्न देने के लिए किए गए हैं, जो अपनी पॉलिसी मैच्योरिटी से पहले बंद कर देते हैं।

सरेंडर वैल्यू क्या है?

सरेंडर वैल्यू उस राशि को कहते हैं, जो पॉलिसीधारक को बीमा पॉलिसी को समय से पहले बंद करने पर मिलती है। पॉलिसीधारक पॉलिसी के दौरान इसे सरेंडर कर सकता है, और उसे बचत और आय के हिसाब से कुछ रकम वापस मिलती है। इरडा ने निर्देश दिया है कि इंश्योरेंस कंपनियों को सरेंडर राशि तय करते समय पॉलिसीधारकों के हितों और औचित्य का ख्याल रखना चाहिए।

नए दिशानिर्देशों का प्रभाव

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने नए दिशानिर्देश पेश किए हैं, जिनके अनुसार जल्द पॉलिसी छोड़ने पर भी बेहतर रिटर्न मिलेगा। इस बदलाव से यह सुनिश्चित होगा कि पॉलिसी खत्म करने वाले और जारी रखने वाले दोनों पॉलिसीधारकों के हितों का ध्यान रखा जाए।

पॉलिसीधारकों और एजेंटों पर प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियां नए सरेंडर चार्ज की भरपाई करने के लिए प्रीमियम बढ़ा सकती हैं या एजेंटों के कमीशन में कटौती कर सकती हैं। इससे प्रीमियम में उतार-चढ़ाव की संभावना है, खासकर इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में।

बीमा कंपनियों की तैयारी

अधिकांश बीमा कंपनियों ने इन दिशानिर्देशों के अनुरूप अपनी नीतियों में बदलाव की तैयारी कर ली है। LIC को, जो कि भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है, अपनी नीतियों में व्यापक बदलाव करने की जरूरत है, जबकि निजी कंपनियों के पास तुलनात्मक रूप से कम पॉलिसी हैं।

इन बदलावों से इंश्योरेंस इंडस्ट्री में कुछ हलचल होने की संभावना है, लेकिन यह पॉलिसीधारकों के लिए बेहतर सरेंडर वैल्यू का मौका लेकर आएगा। बीमा एजेंटों को इस बदलाव का सामना करते हुए नए कमीशन स्ट्रक्चर से सामंजस्य बैठाना होगा।