New Three Criminal Laws 2024: भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA), 1 जुलाई 2024 से लागू होंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तकनीक इन कानूनों का आधार बनाया गया, जिससे ये दुनिया में सबसे आधुनिक कानून बनेंगे।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC) की जगह भारतीय नागरिक संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू होगा।
नए तीन आपराधिक कानूनों का जिक्र
देश में हर तरफ नए तीन आपराधिक कानूनों का जिक्र हो रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जो आपराधिक कानून 1 जुलाई से देश में लागू हो रहे है उनमें कितना बदलाव हुआ है। तीनों कानूनों का खास मकसद अलग-अलग अपराधों को परिभाषित करके उनके लिए सजा तय करना और देश में आपराधिक न्याय सिस्टम को पूरी तरह से बदलना है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS)
भारतीय न्यााय संहिता में यह तय होगा कि कौन सा जघन्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी? BNS यानी भारतीय न्याय संहिता, भारतीय दंड संहिता की जगह ले रहा है। IPC में कुल 511 धाराएं थी, वहीं BNS में 356 धाराएं हैं। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है। 8 नईं धाराएं जोड़ी गईं हैं, 22 धाराओं को हटा दिया गया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
BNSS यानी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC) की जगह ले रहा है। CRPC यानी Code of Criminal Procedure जिसे हिंदी में ‘दंड प्रक्रिया संहिता’ कहा जाता है। CRPC के लिए 1973 में कानून पारित हुआ था। दरअसल, पुलिस CRPC का इस्तेमाल किसी भी मामले की जांच के दौरान करती है। पुलिस थानों में मामले दर्ज तो IPC के तहत होते है। लेकिन, उनमें से कई मामलों में आगे की प्रक्रिया को CRPC के तहत आगे बढ़ाया जाता है। गिरफ्तारी, जांच और मुकद्दमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी की धाराओं के तहत होती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानी CRPC में 484 धाराएं थीं। वहीं, BNSS में 533 धाराएं होगीं। 160 धाराओं में बदलाव किया गया है। 9 धाराएं हटाईं गईं हैं, 9 धाराएं जोड़ी गईं हैं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)
वहीं, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह ले रहा है। इसके तहत सबूतों को जुटाने का काम होता है। इसी के तहत जारी पेश किए गए सबूतों को न्यायालय मानता है। हालांकि, BSA में द्वितीयक साक्ष्य का दायरा थोड़ा विस्तृत किया गया है और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से संबंधित प्रावधानों में कुछ बदलाव किये गए हैं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) में 167 धाराएं थीं। भारतीय साक्ष्य संहिता (2023) में 170 धाराएं हैं। 23 धाराओं में बदलाव किया गया है। 1 नई धारा जोड़ी गई है, 5 धाराएं हटाईं गई हैं।
जीरो’ FIR
नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने जाए बिना ऑनलाइन घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा। साथ ही पुलिस भी मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई कर सकेगी। नए कानून के लागू होने के बाद ‘जीरो’ FIR से पीड़ित किसी भी पुलिस थाने में मामले दर्ज का सकेगा। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और अपराध की शिकायत तुरंत दर्ज की जा सकेगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को प्राथमिकी की एक निशुल्क प्रति दी जाएगी। जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी।
लेखक: रंजना कुमारी