न्यूजीलैंड की माओरी सांसद ने संसद में विधेयक की कॉपी फाड़ते हुए किया ‘हाका नृत्य’, वायरल हुआ वीडियो

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न्यूजीलैंड की संसद में गुरुवार (14 नवंबर) को एक बार फिर ऐतिहासिक और गर्मागर्म सत्र देखने को मिला, ये हंगामा उस वक्त देखने को मिला जब माओरी सांसद हाना-राविती कारेरिकी माईपी-क्लार्क (Hana-Rawhiti Kareariki Maipi-Clarke) ने संसद में पेश किए गए विवादास्पद ट्रीटी प्रिंसिपल्स बिल की कॉपी फाड़ते हुए पारंपरिक हाका नृत्य किया. हाना-राविती के इस प्रदर्शन ने सदन में मौजूद सभी का ध्यान आकर्षित किया और अन्य सांसदों और दर्शकों ने भी इस हाका नृत्य में उनका साथ दिया. इसके बाद संसद के स्पीकर गेर्री ब्राउनली ने कुछ समय के लिए कार्यवाही को रोक दिया. हाना-राविती का ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. ऐसा पहली बार नहीं है जब हाना ने संसद में इस तरीके से हाका नृत्य किया हो, इससे पहले भी एक बार उनका वीडियो वायरल हो चुका है.

कौन हैं हाना-राविती कारेरिकी माईपी-क्लार्क?

हाना-राविती कारेरिकी माईपी-क्लार्क न्यूजीलैंड की संसद की सबसे युवा सदस्य हैं. 22 वर्षीय माईपी-क्लार्क ने 2023 के चुनाव में ते पाती माओरी पार्टी की ओर से चुनाव जीतकर संसद में कदम रखा था. अपनी पहले भाषण के दौरान भी उन्होंने संसद में हाका नृत्य प्रस्तुत कर अपनी संस्कृति को सम्मान दिया था.

बता दें कि माईपी-क्लार्क के पिता भी ते पाती माओरी से चुनाव लड़ने के उम्मीदवारों में शामिल थे, परंतु पार्टी ने माईपी-क्लार्क को उनके युवा दृष्टिकोण के कारण चुना. हाना पहले से ही प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की सरकार की माओरी अधिकारों के प्रति कठोर नीतियों की आलोचक रही हैं, और एक स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें प्रधानमंत्री के संभावित विकल्पों की सूची में शामिल किया गया है.

ट्रीटी प्रिंसिपल्स बिल विवाद ?

यह विधेयक 1840 में हुए वेटांगी की संधि के सिद्धांतों पर आधारित है, जो न्यूजीलैंड सरकार और माओरी समुदाय के बीच संबंधों को परिभाषित करती है. इस संधि के अनुसार, माओरी जनजातियों को उनकी भूमि और उनके अधिकारों की रक्षा करने का आश्वासन दिया गया था, जबकि ब्रिटिश सरकार को शासन का अधिकार मिला था. बता दें कि इस नए विधेयक का उद्देश्य इन अधिकारों को सभी न्यूजीलैंड निवासियों पर लागू करना है.

हालांकि, इस विधेयक का व्यापक समर्थन नहीं है और इसके कानून बनने की संभावना भी कम है. क्योंकि इसके विरोध में हजारों लोग पूरे देश में रैली कर रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि यह विधेयक नस्ली मतभेद और संवैधानिक अस्थिरता को बढ़ावा दे सकता है.