COURAGE AWARDS 2023: न्यूज़ इंडिया का देश के जांबाजों के जज्बे को सलाम! देश के कुछ चुनिंदा IPS अधिकारियों को दिया गया COURAGE AWARDS

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नई दिल्ली: न्यूज इंडिया के COURAGE AWARDS 2023 कॉन्क्लेव कार्यक्रम सोमवार की शाम 28 अगस्त 2023 को डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर जनपथ, दिल्ली में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की शाम उन IPS अधिकारियों के नाम रही, जिन्होंने अपने पद पर तैनात रहते हुए उत्कृष्ट कार्य किए एवं देश का मान बढ़ाया। न्यूज इंडिया ने इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के ऐसे ही जबाज IPS अधिकारियों के जज्बे को शलाम किया।

न्यूज इंडिया के इस विशेष कार्यक्रम मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर, पूर्व कैबिनेट मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, भारतीय युवा कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एमएस बिट्टा, पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं बीजेपी सांसद सत्पाल सिंह, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां और दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय रहीं मौजूद। सभी अतिथि गणमान्यों का निम्म के चेयरमैन डॉ. बलवीर सिंह तोमर ने पैधा एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।

COURAGE AWARDS की शाम IPS अधिकारियों के नाम!

COURAGE AWARDS 2023 की शाम न्यूज इंडिया के कॉन्क्लेव में पहुंचे सभी IPS अधिकारियों के नाम रही। जहां पर आमंत्रित सभी IPS अधिकारियों को COURAGE AWARDS 2023 से सम्मानित किया गया। चलिए जानते हैं करेज अवॉर्ड से सम्मानित इन IPS अधिकारियों के बारे में…

योगेंद्र सिंह यादव, परमवीर चक्र

1999 में कारगिल युद्ध को कौन भूल सकता है, जब देश की सीमा में घुस आए दुश्मन को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना के जाबांजों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। कारगिल युद्ध के कई हीरो रहे, इन्हीं में से एक परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव हैं। इन्होंने देश के लिए एक, दो नहीं, बल्कि 15 गोलियां खाईं, लेकिन दुश्मन से लड़ते रहे और टाइगर हिल को फतह का तिरंगा लहराया। योगेंद्र यादव की इस जांबाजी के लिए इन्हें हीरो ऑफ टाइगर हिल भी कहा जाता है। योगेंद्र यादव महज 16 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हुए और 19 साल की उम्र में साहस और पराक्रम के सर्वोच्‍च सम्‍मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गए। इस सम्मान को पाने वाले आप सबसे कम उम्र के सैनिक हैं। देश के लिए आपके इस जज्बे को न्यूज इंडिया सलाम करता हैं।

देवेश कुमार महला, डीसीपी, आईजीआई एयरपोर्ट

2012 बैच के सुलझे हुए आईपीएस में शुमार किए जाने वाले देवेश कुमार महला वर्तमान में इंदिरा गांधी इंटरनेशल एअरपोर्ट के डीसीपी हैं। डीसीपी आउटर नार्थ जिला के पद पर तैनात रहे। देवेश कुमार का आउटर नॉर्थ दिल्ली जिले में छोटा कार्यकाल भी बेहद शांतिपूर्ण रहा। देवेश कुमार महला ने नीरज बवानिया गैंग को जेल में डालकर बदमाशों में दहशत को पैदाकर दिया और आपने ऑपरेशन प्रहार के जरिए कम समय में 146 अपराधियों को पकड़ा। राजधानी दिल्ली में क्राइम को नकेल कसने में डीसीपी देवेश कुमार महला के इस जज्बे को न्यूज इंडिया सलाम करता हैं।

कमलेश बहादुर, SP, मेरठ देहात

कमलेश बहादुर एक ऐसे शख्स हैं, जो अपने सख्त लॉ एंड ऑर्डर की वजह से हमेशा चर्चा में रहते हैं। आज तक सरकार की ओर से दी गई हर जिम्मेदारी को इन्होंने बखूबी निभाया है। यूपी पुलिस में इनकी गिनती सबसे कड़क और ईमानदार पुलिस अफसरों में होती है। कमलेश बहादुर ने बेहद कम समय में अपने कुशल नेतृत्व ने ना केवल मेरठ में अपराधियों पर नकेल कसने का काम किया है। बल्कि, पुलिस और पब्लिक के बीच बेहतर समन्वय भी स्थापित किया है। मेरठ देहात से पहले SP कमलेश बहादुर PAC-45 वीं वाहिनी में तैनात थे। पुलिस में कमलेश बहादुर के योगदान को देखते हुए न्यूज़ इंडिया परिवार आपके इस जज्बे को सलाम करता है।

धनंजय मिश्रा, डीएसपी, मऊ

2018 में उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर में एक भयानक मामला सामने आया। मामला था एक बेटी के साथ दरिंदगी का। उस वक्त इस केस में सिकंदराबाद के ज़ुल्फीकार, दिलशाद और इज़राइल का नाम सामने आता है। ज़ुल्फीकार के खाते में तीन करोड़ रुपए मुआवजा की रकम थी, जो खुद को सेफ करने के लिए अधिकारीयों को रिश्वत पेश करता है। लेकिन उस केस की जांच कर रहे इंस्पेक्टर धनंजय मिश्रा इतनी बड़ी रकम को ठौकर मारकर उन दरिंदों को फांसी के फंदे तक लेकर जाते हैं और बुलंदशहर की लड़कियों और उनके परिवार वालों को विश्वास दिलाते हैं कि अब उन्हें ऐसे अपराधियों से डरने की कोई जरूरत नहीं है। जिसके बाद डीएसपी धनंजय मिश्रा को राष्टपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अशोक कुमार, डीजीपी, उत्तराखंड

अशोक कुमार वर्तमान में उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक हैं, जो उत्तराखंड कैडर के 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। अशोक कुमार का जन्म जन्म 1963 में हरियाणा के पानीपत जिले के करुणा गांव में हुआ था। इन्होंने 1991 से 1993 तक इलाहाबाद और अलीगढ़ में एएसपी के रूप में कार्य किया। जिसके बाद वे नवंबर 2020 में उत्तराखंड के डीजीपी बने तब से लेकर अभी तक अशोक कुमार लगातार बेहतरीन काम कर रहे हैं। इनके इसी जज्बे को न्यूज इंडिया सलाम करता है।

रवि प्रकाश महेरड़ा, डीजीपी

रवि प्रकाश महेरड़ा के सिविल राइट्स और साइबर क्राइम डीजीपी हैं, जो 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। रवि प्रकाश महेरड़ा ने राजस्थान में साइबर अपराध के खतरे को काबू में करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में साइबर थाने स्वीकृत किए और 50 करोड़ रुपये की लागत से सेन्टर फॉर साइबर सिक्योरिटी की स्थापना में अहम योगदान दिया।

विजेंद्र भड़ाना , डीसीपी

चुस्त-दुरुस्त डीसीपी विजेंद्र भड़ाना यूपी पुलिस में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। यह आम लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। हिस्ट्रीशीटर अपराधियों पर सख्ती और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति बिजेंद्र भड़ाना की प्राथमिकता रही है। कैराना और शामली में इन्होने कई अनसुलझे केसों को ना सिर्फ सुलझाया, बल्कि अपराधियों को सजा भी दिलवाई। यही वजह है कि आज भी डीसीपी विजेंद्र भड़ाना का खौफ अपराधियों में बना हुआ है।

साथ ही क्राइम ब्रांच इंचार्ज अब्दुर रहमान सिद्दीकी, अजय यादव, डिप्टी डायरेक्टर, ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी और कमिश्नर कुलदीप यादव को न्यूज इंडिया की ओर से मिला करेज अवॉर्ड।