नेपाल राष्ट्र बैंक ने 100 रुपये के नोट छापने के लिए चीन की कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को ठेका दिया है. यह कंपनी 30 करोड़ नोटों की छपाई करेगी. इन नोटों में नेपाल के नए नक्शे को दर्शाया गया है, जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा, और कालापानी जैसे विवादित क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया गया है.
मीडिया में जारी खबरों के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने कंपनी से 100-100 रुपये के 30 करोड़ नोट की डिजाइनिंग, मुद्रण, आपूर्ति और वितरण का अनुरोध किया है, जिसकी अनुमानित मुद्रण लागत लगभग 89.9 लाख अमेरिकी डॉलर है. नेपाल राष्ट्र बैंक के प्रवक्ता से हालांकि इस संबंध में प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.
बता दें कि नेपाल की सरकार ने 2020 में संविधान में संशोधन करके इन विवादित क्षेत्रों को अपने नक्शे में शामिल किया था, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी. भारत ने इसे कृत्रिम विस्तार करार दिया और इसे अस्वीकार्य बताया था. इस पर भारत का कहना है कि ये क्षेत्र भारत का हिस्सा हैं और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आते हैं.
नेपाली मुद्रा को लेकर भारतीय व्यापारियों का विरोध
नेपाल के नए 100 रुपये के नोट पर विवादित नक्शा होने के कारण भारतीय व्यापारियों ने इस मुद्रा को स्वीकारने से इनकार कर दिया है. सामान्यतः सीमांत क्षेत्र में भारतीय व्यापारी नेपाली मुद्रा स्वीकारते हैं, लेकिन इस नोट को लेकर उनके बीच आक्रोश है. नेपाल में चीन समर्थक नीतियों के बढ़ने से भारत-नेपाल सीमा पर तनाव बढ़ने की आशंका है.
नेपाल के नए नोट पर क्या है नक्शा विवाद
लिपुलेख, लिंपियाधुरा, और कालापानी तीनों क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं. इनका स्थान भारत, नेपाल और तिब्बत के बीच त्रिकोणीय जंक्शन पर है, और लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है. इन विवादित क्षेत्रों के नक्शे में बदलाव से भारत और नेपाल के रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है. क्योंकि दोनों देशों के बीच जारी विवाद की असल वजह चीन को बताया जा रहा है.
क्योंकि अंग्रेजों के साथ संधि के करीब 100 साल बाद तक इस इलाके को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ था. यहां तक कि भारत ने 1962 में चीनी आक्रमण को रोकने के लिए इस इलाके में अपनी सेना तक तैनात कर दी थी. अभी भी इस इलाके के कई हिस्सों में भारतीय सेना तैनात है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
दोनों देशों के बीच ये विवाद 1990 में उस वक्त शुरू हुआ, जब नेपाल राजशाही से लेकर लोकतंत्र की ओर बढ़ाते ही इस इलाके पर भी सवाल उठने लगे. जिसके बाद ये विवाद 2015 में तब गहराया जब कम्युनिस्ट नेता केपी ओली नेपाल के प्रधानमंत्री बने. ओली ने नेपाल के परंपरागत दोस्त भारत के बजाय चीन से नजदीकियां बढ़ाईं.
यही कारण है कि चीन इन दोनों देशों के बीच जारी विवाद का फायदा उठाना चाहता है.
भारत-नेपाल के रिश्तों पर पड़ सकता है प्रभाव
नेपाल द्वारा 100 रुपये के नए नोट पर विवादित क्षेत्रों को शामिल करने के कारण भारत-नेपाल में कूटनीतिक तनाव बढ़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल को अपने नक्शे में सही बदलाव करने चाहिए ताकि पड़ोसी देशों के साथ संबंध मधुर बने रहें.