One Nation, One Election: कौन समर्थन में, कौन विरोध में, कौन है न्यूट्रल, जानिए सब कुछ…

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One Nation, One Election: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का मुद्दा आने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो चुकी है। क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंपी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया गया था। इसमें से 47 राजनीतिक पार्टियों ने ही प्रतिक्रिया दी, जिसमें से 32 पार्टियों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का समर्थन किया। जबकि, 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया है। वहीं, 15 पार्टियां न्यूट्रल हैं। लेकिन सबसे बड़ा चिंता का विषय ये है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विरोध देश की 4 नेशनल पार्टियां कर रही हैं।

विरोध में उतरी 4 नेशनल पार्टियां

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय दलों में से कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया।

क्षेत्रीय पार्टियां जिन्होंने ने किया विरोध

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विरोध करने वाली पार्टियो में क्षेत्रीय पार्टियां ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), द्रमुक, नागा पीपुल्स फ्रंट और समाजवादी पार्टी, भाकपा माले लिबरेशन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय लोक जनता दल, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरेल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) की पार्टी शामिल हैं।

समर्थन में उतरे दल

वहीं, कुछ ऐसे क्षेत्रीय दल भी हैं जो ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के समर्थन में हैं। उनमें अन्नाद्रमुक, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल का नाम शामिल है।

न्यूट्रल पार्टी

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर कुछ पार्टियां न्यूट्रल दिखाई दीं। जिनमें भारत राष्ट्र समिति, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, जनता दल (सेक्युलर), झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (M), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशालिस्ट पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, तेलुगु देसम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी शामिल हैं।

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू करना है तो क्या-क्या बदलाव करने होंगे?

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन कहते हैं, “अगर उन्हें इसे लागू करना है जैसा कि उन्होंने रिपोर्ट में सुझाव दिया है, तो वे बदलाव लाने के लिए एक अनुच्छेद शामिल करना चाहते हैं – जिसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी।”

दो-तिहाई बहुमत के साथ, साथ ही आधे राज्यों ने भी अपनी सहमति दी। इसलिए, यह एक काफी लंबी प्रक्रिया है। मुझे लगता है कि उन्होंने इसे केवल कार्यकाल को देखते हुए एक सरल, सीधे तरीके से देखा है। उन्हें सभी विभिन्न पहलुओं पर भी गौर करना चाहिए संविधान के प्रावधान, जिनमें आपातकालीन शक्तियां, राष्ट्रपति की शक्तियां, राष्ट्रपति शासन आदि शामिल हैं, जिन्हें बदलने और बदलने की आवश्यकता होगी। जब तक आप उस व्यापक अभ्यास को नहीं करते, मुझे लगता है कि यह अदूरदर्शी हो सकता है।

व्यावहारिक स्तर पर, मुझे लगता है कि इसका कोई मतलब नहीं है ऐसा इसलिए क्योंकि हमने देखा है कि सरकारें कैसे बनाई जाती हैं, पिछले 75 वर्षों में संसद और विधानमंडल बनाए गए हैं। हमने कोई विशेष समस्या नहीं देखी है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है… मेरे विचार में, यह पूरी तरह से अव्यावहारिक और पूरी तरह से अनावश्यक है।”