नई दिल्ली: तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) अपने गैस व्यवसाय और हरित हाइड्रोजन जैसी स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक नई यूनिट स्थापित करने जा रही है, क्योंकि वह नए क्षेत्रों (स्वच्छ ऊर्जा वाले) में तेजी से प्रवेश करना चाहता है। यही कारण है कि ONGC ने शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा है कि उसके पिछले महीने गैस व्यवसाय और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बनाने के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है।
‘ओएनजीसी ग्रीन लिमिटेड’ होगा कंपनी का प्रस्तावित नाम!
कंपनी ने अपने एक बयान में कहा है कि, “कंपनी का प्रस्तावित नाम ‘ओएनजीसी ग्रीन लिमिटेड’ है, जो भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की मंजूरी के अधीन है।” देश में तेल और गैस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी के निदेश मंडल ने मंगलवार को अपनी बैठक में हरित ऊर्जा और गैस व्यवसाय के लिए पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के गठन को मंजूरी दे दी।
इस परियोजना में खर्च होंगे 1 लाख करोड़ रुपये
इसकी डीकार्बोनाइजेशन रणनीति के हिस्से के रूप में 10 गीगावॉट नवीकरणीय (अक्षय) ऊर्जा क्षमता स्थापित करने और 2035 तक दो मिलियन टन हरित अमोनिया वार्षिक उत्पादन क्षमता स्थापित करने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। ओएनजीसी ने कहा कि पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी हरित हाइड्रोजन, हाइड्रोजन सम्मिश्रण, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव ईंधन/बायोगैस व्यवसाय और एलएनजी जैसे ऊर्जा व्यवसाय की मूल्य-श्रृंखलाओं के लिए होगी। कंपनी ने अपनी फाइलिंग में यह भी कहा कि उसके बोर्ड ने सीधे या एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के साथ एक सहयोगी के माध्यम से एक संयुक्त उद्यम कंपनी के गठन के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
विशेष रूप से राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी के पास 176 मेगावाट का नवीकरणीय पोर्टफोलियो है, जिसमें 153 मेगावाट पवन ऊर्जा और 23 मेगावाट सौर ऊर्जा शामिल है। इसका लक्ष्य 2040 तक अपने पोर्टफोलियो में 10 गीगावाट अक्षय ऊर्जा जोड़ने का है।