नई दिल्ली/डेस्क: दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन ने हाल ही में अपने आयोजन का समापन किया है। इस महत्वपूर्ण आयोजन का आयोजन 22 अगस्त से 24 अगस्त तक हुआ था। इस सम्मेलन में छह नए देशों को शामिल किया गया, लेकिन इस बार पाकिस्तान का नाम इस सम्मेलन में शामिल नहीं है।
पहले से ब्रिक्स समूह में शामिल देशों में ब्राज़िल, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका थे। इस बार सम्मेलन में अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हुए हैं। पाकिस्तान के विरोध के बावजूद, इस बार अन्य देशों को ब्रिक्स समूह में शामिल किया गया।
पाकिस्तान ने पहले भी इस समूह में शामिल होने की कई बार चेष्टा की थी, लेकिन भारत की आपत्ति के चलते समूह ने उसकी सदस्यता की प्रक्रिया को रोक दिया था।
दरअसल, इस बार सम्मेलन का आयोजन नए देशों की शामिली के साथ हुआ है, जो ब्रिक्स के विस्तार में पहला कदम है। यह दर्शाता है कि समूह अपने व्यापकता और महत्व को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान ने इस समूह में शामिल होने के लिए अभी तक कोई आधिकारिक अनुरोध नहीं किया है। यह इसलिए है क्योंकि पिछले कुछ सालों में ब्रिक्स समूह ने इस्लामाबाद की ओर से आयोजनों में पूरी तरह से ध्यान दिया नहीं था।
विदेश कार्यालय की प्रवक्ता, मुमताज जहरा बलूच, ने इस सम्मेलन के बारे में बताया कि उन्हें सदस्य देशों के बीच शांति, एकजुटता, और सहयोग को बढ़ावा देने का निर्णय लेना है। उन्होंने यह भी दिखाया कि पाकिस्तान ने ब्रिक्स के माध्यम से विश्व शांति और विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
ब्रिक्स का विस्तार समूह की महत्वपूर्णता को दर्शाता है, और यह साबित करता है कि सदस्य देश आपसी सहयोग और विकास के क्षेत्र में साथी बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
लेखक: करन शर्मा