नई दिल्ली/डेस्क: जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना, पाकिस्तान भी अब चांद पर जाएगा। अरे नहीं, भीख मांगने नहीं, बल्कि एक स्पेस वेंचर्स के तहत आपनी सैटेलाइट को चांद पर पहुंचाएगा। आपके मन में सवाल आया होगा, इन भिखारीयों को एक वक्त की रोटी नसीब हो जाए, तो इन लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं होता है, ऐसे में ये भिखारी चांद पर जाने को कैसे सोचेंगे?
देखिए, अगर आपका कोई गॉडफादर हो तो यह सब करना आसान हो जाता है, लेकिन पाकिस्तान के मामले में उसके सिर पर उसके नाजायज पिता चीन का हाथ है। जब से भारत ने चंद्रमा पर अपना चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक उतारा है, तब से उनकी पड़ोस वाली आंटी की तरह जलन खत्म नहीं हो रही।
पाकिस्तान का बढ़ेगा मनोबल
दुनिया ने भले ही इसके लिए भारत को बधाई दी हो, लेकिन जिन्हें मौका मिला, उन्होंने बहती गंगा में हाथ धोकर पाकिस्तान को जमकर लताड़ा, दुनिया की छोड़िये, उन्हें उनके ही नागरिकों ने जमकर खरी-खोटी सुनाई।
और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता इस स्तर तक बढ़ने लगी कि अगर आप कहें तो वहां भी प्रधानमंत्री मोदी ही सरकार बना लें। आज ये भिखारी अंतरिक्ष अभियानों में हमसे 7 साल आगे होते, लेकिन उन्हें यहां भी धर्म का कार्ड खेलना था, इसीलिए उनके पहले नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक अब्दुस सलाम को कभी सम्मान नहीं दिया गया क्योंकि वह अहमदिया थे।
और उनके समाज में अहमदियों को मुस्लिम नहीं माना जाता है। इसीलिए उन्होंने किसी वैज्ञानिक की जगह सेना प्रमुख को अपनी अंतरिक्ष एजेंसी सुपारको का प्रमुख बनाना शुरू कर दिया। और उनका यह मिशन चंद्रयान जैसा नहीं होगा, यह एक क्यूबसैट सैटेलाइट होगी।
जिसे हमारे स्कूल के बच्चे कई बार मजाक-मजाक में भेज चुके हैं, इसके साथ ही चीन अपने चैंग-6 मिशन से उनका मनोबल बढ़ाएगा और कुछ नहीं। वे केवल भीख मांगने और आतंकवाद में ही दुनिया से आगे रहेंगे, इसके अलावा उन्हें न तो कुछ हासिल हुआ है और न ही होगा।
अब तक भारत-चीन प्रतिद्वंद्विता का सबसे बड़ा लाभार्थी पाकिस्तान है, जिसके कारण दक्षिण एशिया सबसे बड़ा पीड़ित बन गया है।
लेखक: करन शर्मा