“अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति आई”, वहां के मुसलमान भाई भी हमारे भाई – अमित शाह

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Home Minister Amit Shah
Home Minister Amit Shah

नई दिल्ली/डेस्क: जम्मू-कश्मीर में आजादी के बाद आज तक यहां पंचायत के चुनाव नहीं हुए थे. आज 30 हजार से ज्यादा जनता के प्रतिनिधि पंचायती चुनाव में हिस्सा ले चुके हैं. ये बहुत बड़ी सफलता है. अनुच्छेद 370 पर जम्मू-कश्मीर की जनता में जो एक भ्रांति फैलाई गई थी, वो अब पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. ये हम नहीं गृह मंत्री शाह ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा है.

शाह ने कहा – अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति आई है, टूरिज्म बढ़ा है, विकास लोगों के घर तक पहुंचा है, आतंकवाद खत्म हो गया है, पत्थरबाजी जीरो हो गई है. 30 साल के बाद मुहर्रम का जुलूस निकला है. आज जम्मू-कश्मीर की जनता इस चीज को महसूस कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी जी के लैपटॉप में, जेहन में जम्मू-कश्मीर के विकास का पूरा विजन भी है, और रोडमैप भी.

शाह ने कहा –

> कश्मीरियत को अगर कोई बचाएगा, तो वो मोदी जी ही बचा सकते हैं.

> पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है. ये हकीकत है.

> वहां के मुसलमान भाई भी हमारे हैं और भूमि भी हमारी है. कांग्रेस, NC और PDP इन तीनों परिवारवादी पार्टियों ने जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत को रोका है.

लोकसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की तैनाती योजनाबद्ध तरीके से घटाने और सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम हटाने पर भी विचार किया जाएगा. कानून व्यवस्था से लेकर आतंक के मोर्चे पर अब जम्मू-कश्मीर पुलिस आगे रहेगी. वहीं सितंबर 2024 के अंत तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन होगा और यह पीएम मोदी का वादा है. मोदी का वादा मतलब पूरा होने की गारंटी.

शाह ने यह भी कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू और कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है. उन्होंने कहा कि हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस पर अकेले छोड़ने की है.

पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं. विवादास्पद AFSPA पर गृह मंत्री ने कहा कि हम AFSPA हटाने के बारे में भी सोचेंगे.

क्या है AFSPA ?

अफस्पा अशांत क्षेत्रों में सक्रिय सशस्त्र बलों के कर्मियों को “लोक व्यवस्था कायम” रखने के लिए आवश्यकता होने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है. शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू ह. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने अफस्पा हटाने की मांग की है.

कब होंगे कश्मीर में चुनाव ?

शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा. हालांकि, यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और लोगों का लोकतंत्र होगा.

लेखक: इमरान अंसारी