नई दिल्ली/डेस्क: कतर में मौत की सजा पाने वाले 8 भारतीय नौसेना पूर्व जवानों को दोहा की एक अदालत ने रिहा कर दिया है, जिनमें से 7 लोग भारत लौट चुके हैं। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, जिसके हीरो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और को माना जा रहा है। हालांकि, इस जीत में एक और हीरो है, जिसने इस मामले में अहम भूमिका निभाई है, और वह है भारत के जेम्स बॉन्ड, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल।
यह बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और अजीत डोभाल ने मिलकर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात करके इस मुद्दे पर चर्चा की थी, लेकिन अजीत डोभाल ने पर्दे के पीछे से भारतीय नौसैनिकों की रिहाई को सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सूत्रों के अनुसार, इन 8 भारतीयों की रिहाई के लिए भारत और कतर के अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुईं, और अजीत डोभाल ने खुद कतर के अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं। उन्होंने भारतीय नौसैनिकों की जेल की सजा को समाप्त करने के लिए कई प्रयासों को संचेषित किया और इसमें सफल रहे। इसके बाद, कतर ने इन 8 भारतीयों को रिहा करने का निर्णय लिया। यही नहीं, कतर ने एक अमेरिकी और एक रूसी नागरिक को भी हिरासत से रिहा कर दिया है।
क़तर से भारत की 78 अरब डॉलर की डील
इसके अलावा मंगलवार को भारत और कतर के बीच एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसने भारतीय नौसेना के इन 8 पूर्व सैनिकों की रिहाई में अहम भूमिका निभाई है। इस समझौते के तहत, भारत अगले 20 वर्षों में 2048 तक कतर से 78 बिलियन डॉलर की तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) खरीदेगा। और कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस निर्यात करेगा।
सूत्रों के अनुसार, भारत ने इस मामले में कूटनीतिक रूप से बहुत चतुराई दिखाई है और लगातार इस मुद्दे पर दबाव डालकर कतर से रिहाई हासिल करने में सफल रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत के प्रयासों से अमेरिका और रूस भी अपने नागरिकों की रिहाई में सफल रहे हैं।
लेखक: करन शर्मा