600 वकीलों की चिट्ठी पर बोले PM मोदी, कहा- दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति

Published

नई दिल्ली: वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे सहित देशभर के 600 वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर न्यायालय और जजों का समर्थन किया है। वहीं, उन्होंने न्यायपालिका पर सवाल उठाने को लेकर भी चिंता जाहिर की है। वकीलों ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि देश में एक ‘विशेष ग्रुप’ न्यायपालिका को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

पीएम ने ट्वीट कर लिखा कि दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। 5 दशक पहले ही कांग्रेस ने प्रतिबद्ध न्यायपालिका का आह्वान किया था। वे अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं, लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।- पीएम मोदी

600 वकीलों ने CJI को लिखी थी चिट्ठी

करीब 600 वरिष्ठ वकीलों ने एक चिंगारी भरे पत्र के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से एक बड़ा सवाल उठाया है। इस पत्र में वकीलों ने न्यायपालिका को घेरने वाले कुछ गुप्त शक्तियों के बारे में खुलासा किया है, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और न्यायिक प्रक्रिया को खतरे में डाल रहे हैं।

उनका आरोप है कि देश में एक विशेष ग्रुप कार्यरत है, जो न्यायपालिका को कमजोर करने का काम कर रहा है। इस ग्रुप का मुख्य ध्येय है न्यायिक प्रक्रिया में दबाव डालकर अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करना।

वकीलों के मुताबिक, इस ग्रुप का काम अदालती फैसलों को प्रभावित करना है, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जिनसे या तो नेता जुड़े हुए है या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप है।

वकीलों ने CJI से लगाई गुहार

उन्होंने चिट्ठी में व्यक्त किया कि ये ग्रुप न्यायपालिका के सुनहरे युग के खिलाफ गलत नैरेटिव पेश करता है, अदालतों की कार्यवाहियों पर सवाल उठाता है, और जनता के विश्वास को कम करता है। इस ग्रुप का मुख्य उद्देश्य है न्यायपालिका के फैसलों को अपने पक्ष में ले लेना, चाहे वो फिर चुनावी रूप में हो या फिर सामाजिक मामले हों।

वकीलों का कहना है कि इस समूह द्वारा न्यायपालिका की निष्पक्षता को धूमिल किया जा रहा है। अनेक मामलों में इनके द्वारा सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं ताकि जनता का विश्वास न्यायपालिका में कम हो जाए। इसके साथ ही, अदालत में फैसला ना मिलने पर ये नेता या फिर ग्रुप के सदस्य अदालत की आलोचना करने का मार्ग अपनाते हैं।

इस समय, जब देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां हो रही हैं, वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह इस गतिविधि को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करें। वकीलों ने न्यायपालिका के समर्थन में एकजुट रुख अपनाने का भी आह्वान किया है, ताकि न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करने का मार्ग मिल सके।

अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस चुनौती का करारा जवाब देता है या फिर ये हरकतें न्यायपालिका के तात्कालिक भविष्य को अंधकार में धकेल देती हैं।