यूपी की राजनीति में उठा सियासी तूफान; भाजपा के अंदरूनी मतभेद और विपक्ष के हमले के बीच फंसे योगी!

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लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा (BJP) को उत्तर प्रदेश में मिले निराशा जनक परिणाम के बाद सियासी माहौल गरमाया हुआ है। संगठन स्तर पर बदलाव की अटकलें तेज हैं, और दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सियासी पारा चढ़ा हुआ है। विरोधी दलों के नेता भी इस मौके का फायदा उठाकर बीजेपी पर हमलावर हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के सहयोगी और सरकार के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, और इसकी शिकायतें भाजपा नेतृत्व तक पहुंच गई हैं। यही कारण है कि भाजपा की आलाकमान ने केशव प्रसाद मौर्य को मुलाकात के लिए दिल्ली बुलाया था। जहां पर पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने करीब एक घंटे तक डिप्टी सीएम मौर्य से मुलाकात की और फिर बाद में अलग से प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की मुलाकात हुई।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस अहम बैठक में यूपी की 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है। लेकिन यूपी की राजनीति के हालातों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि बात सिर्फ यूपी विधानसभा तक ही सीमित नहीं रह गई है। भाजपा की आलाकामान का सीएम योगी का दिल्ली न बुलाना भी एक बड़ा इशारा हो सकता है। चलिए जानते हैं कि यूपी की राजनीति में उठे इस सियासी तूफान की शुरुआत कहां से हुई है…

यूपी में बीजेपी का फीका प्रदर्शन सबसे बड़ी वजह!

दरअसल, यूपी की राजनीति में मचे इस सियासी बवाल को आप, आम चुनाव 2019 की कहानी को उत्तर प्रदेश में 2024 में न दोहरापाना सबसे बड़ी वजह में से एक माना जा रहा है। और भाजपा अपने इस खराब प्रदर्शन का सेहरा किसी ना किसी के माथे तो मढ़ना चाहती है। यही कारण है कि अब योगी आदित्यनाथ की राजनीति और उनकी लोगप्रियता पर सवाल खड़े होने शुरु हो गए हैं।

बीजेपी के अंदरूनी मतभेद- संगठन बनाम सरकार

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी के सहयोगियों का साथ मिल रहा है। यूपी में बीजेपी के सहयोगियों ने सरकार के साथ तालमेल और शासन में सुनवाई न होने का मुद्दा उठाया है। इस मुद्दे पर मौर्य ने मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। इससे पहले, रविवार को लखनऊ में बीजेपी की राज्य कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए मौर्य ने कहा था कि संगठन, सरकार से बड़ा होता है। मौर्य के इस बयान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ टिप्पणी के तौर पर भी देखा जा रहा है।

बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य यहीं तक नहीं रुके, उन्होंने अपने सोशल मीडिया के एक्स अकाउंट से एक पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि, “संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है…”

अखिलेश यादव का भाजपा तंज

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मौके का फायदा उठाते हुए बीजेपी पर तंज कसा है। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “बीजेपी में कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में उत्तर प्रदेश में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम बीजेपी दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है। इसीलिए बीजेपी अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। जनता के बारे में सोचने वाला बीजेपी में कोई नहीं है।”

बीजेपी नेता संजय निषाद का अखिलेश यादव को जवाब

बीजेपी के अंदरूनी कलह के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी के मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं है, कोई कलह नहीं है। सभी लोग मिलकर काम कर रहे हैं। अगर काम नहीं हो रहा होता, तो उत्तर प्रदेश में विकास कैसे होता? 24 कैरेट का सोना बहुत मुश्किल से मिलता है। एक आधा कैरेट कम हो तो सोने की कीमत थोड़ी न घट जाती है।”

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने यूपी की राजनीति पर दिया अपना तर्क

बीजेपी के राजनीतिक घटनाक्रम पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, “मेरा राजनीति में लगभग 44 सालों का अनुभव है। मैंने उत्तर प्रदेश भाजपा में जो आज स्थिति उत्पन्न हुई है, इससे पहले कल्याण सिंह जी के समय देखी थी। उस समय कल्याण सिंह बहुत मजबूत हो गए थे और उनको हटा दिया गया था। आज उत्तर प्रदेश भाजपा में वैसी ही स्थिति है। अब देखना यह है कि कौन कल्याण सिंह बनता है और कौन उस स्थिति से निकलता है।”

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अंदरूनी मतभेद और संगठन में बदलाव की अटकलें राजनीतिक माहौल को और भी गरमा रही हैं। विरोधी दलों के नेता इस मौके का फायदा उठाकर बीजेपी पर हमलावर हो रहे हैं, वहीं बीजेपी के अंदरूनी मतभेद भी खुलकर सामने आ रहे हैं। देखना यह है कि आने वाले समय में बीजेपी इस सियासी तूफ़ान से कैसे निपटेगी और क्या संगठन में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।