Shivraj Singh Chouhan: “विदेश में देश की छवि खराब करना देशद्रोह के बराबर”-शिवराज सिंह चौहान

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Shivraj Singh Chouhan: वाशिंगटन डी.सी. में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयानों को लेकर इस वक्त देश की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा अमेरिका में दिए बयानों को लेकर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और विपक्ष के नेता का पद एक जिम्मेदार पद है। मैं राहुल गांधी को याद दिलाना चाहता हूं कि जब अटल बिहारी वाजपेयी एलओपी थे, तब उन्होंने विदेशी धरती पर कभी भी देश की छवि खराब करने की कोशिश नहीं की।

लगातार तीसरी बार हार मिलने के कारण उनके मन में बीजेपी विरोधी, आरएसएस विरोधी और मोदी विरोधी भावनाएं घर कर गयी हैं। वह लगातार देश की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. देश की छवि खराब करना देशद्रोह के बराबर है। संविधान पर हमला किसने किया? आपातकाल किसने लगाया? वह भारत जोड़ो यात्रा पर निकलते हैं लेकिन वह न तो भारत के साथ और न ही भारत के लोगों के साथ एकजुट हो पाते हैं।”

अमेरिका में दिए राहुल गांधी के इन बयानों पर छिड़ा विवाद

बता दें, कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। वहां, उन्होंने एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी बात रखी तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने भारत के संविधान पर भी चर्चा की। राहुल गांधी ने अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी में कहा, “चुनाव से पहले, हम इस विचार पर जोर देते रहे कि संस्थानों पर कब्जा कर लिया गया है। हमारे पास उचित खेल का मैदान नहीं है। शिक्षा व्यवस्था पर आरएसएस का कब्जा है। मीडिया और जांच एजेंसियों पर कब्जा कर लिया गया है। हम कहते रहे लेकिन लोगों को समझ नहीं आ रहा था।

मैंने संविधान को पकड़ना शुरू कर दिया और जो कुछ भी मैंने कहा था वह अचानक फूट पड़ा। गरीब भारत, पीड़ित भारत वो समझ गया भारत कि संविधान गया तो सारा खेल गया। बेचारे लोग गहराई से समझ गए कि यह उन लोगों के बीच की लड़ाई है जो संविधान की रक्षा कर रहे थे और जो इसे नष्ट करना चाहते हैं। जाति जनगणना का मुद्दा भी बड़ा हो गया। ये बातें अचानक एक साथ आने लगीं।

मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव में बीजेपी 246 के करीब थी। उन्हें भारी वित्तीय लाभ हुआ। उन्होंने हमारे बैंक खाते बंद कर दिए थे। चुनाव आयोग वही कर रहा था जो वे चाहते थे। पूरे अभियान की संरचना इस प्रकार की गई थी कि नरेंद्र मोदी देश भर में अपना काम कर सकें। जिन राज्यों में वे कमज़ोर थे, उन्हें उन राज्यों की तुलना में अलग ढंग से डिजाइन किया गया जहां वे मजबूत थे। मैं इसे स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखता। मैं इसे एक नियंत्रित चुनाव के रू