नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता Rahul Gandhi ने गुरुवार को कहा कि वे व्यापार विरोधी नहीं हैं, बल्कि इसमें एकाधिकार के विरोधी हैं. एक्स पर एक वीडियो में राहुल गांधी ने दावा किया कि भाजपा उन्हें एक व्यापार विरोधी नेता के रूप में पेश करना चाहती है लेकिन वह 2 या 5 लोगों द्वारा व्यापार पर वर्चस्व के विरोधी हैं.
Rahul Gandhi ने सोशल मीडिया पर साझा किया वीडियो
कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने वीडियो में कहा कि मैंने अपना करियर एक प्रबंधन सलाहकार(Management consulting) के रूप में शुरू किया था और मैं समझता हूं कि किसी व्यवसाय को सफल बनाने के लिए किस प्रकार की चीजों की आवश्यकता होती है. इसलिए मैं दोहराना चाहता हूं कि मैं व्यवसाय विरोधी नहीं हूं, मैं एकाधिकार विरोधी हूं.
उन्होंने कहा कि मैं एक बात बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भाजपा और मेरे विरोधियों ने मुझे व्यापार विरोधी के रूप में पेश किया है. मैं बिल्कुल भी व्यापार विरोधी नहीं हूं, मैं एकाधिकार विरोधी हूं, मैं अल्पाधिकार बनाने का विरोधी हूं, मैं एक या दो या पांच लोगों द्वारा व्यापार पर वर्चस्व का विरोधी हूं. वीडियो में राहुल गांधी ने खुद को “नौकरी समर्थक, व्यापार समर्थक, नवाचार समर्थक, प्रतिस्पर्धा समर्थक” बताया. उन्होंने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था तभी फलेगी-फूलेगी जब सभी व्यवसायों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष स्थान होगा.”
केंद्र सरकार पर चुनिंदा उद्योगपतियों को तरजीह देने का आरोप
Rahul Gandhi की यह टिप्पणी उनके द्वारा इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए एक लेख के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मूल ईस्ट इंडिया कंपनी 150 साल पहले खत्म हो गई थी, लेकिन उसके बाद जो भय पैदा हुआ, वह एक नए प्रकार के एकाधिकार वादियों के साथ वापस आ गया है.
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उन्होंने कहा कि नए प्रकार के एकाधिकार वादियों ने हमारे बैंकिंग, नौकरशाही और सूचना नेटवर्क को नियंत्रित किया. हमने अपनी स्वतंत्रता किसी दूसरे देश के हाथों नहीं खोई बल्कि हमने इसे एक एकाधिकारवादी निगम के हाथों खो दिया जो एक दमनकारी तंत्र चलाता था. कांग्रेस नेता ने लिखा कि एक नए प्रकार के एकाधिकार वादियों ने मूल ईस्ट इंडिया कंपनी की जगह ले ली है, जो अपार संपत्ति अर्जित कर रहे हैं, जबकि भारत अन्य सभी के लिए कहीं अधिक असमान और अनुचित हो गया है. बता दें कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर किसानों के कल्याण की बजाय चुनिंदा उद्योगपतियों को तरजीह देने का आरोप लगाते हैं. वह अक्सर केंद्र सरकार को उद्योगपति गौतम अडानी से जोड़ते हैं.