स्टेशन मास्टर की लापरवाही से रेलवे को हुआ 3 करोड़ का नुकसान, ऑन-ड्यूटी पत्नी से बात करते हुए बोला ‘ओके’

Published

रेलवे में कर्मचारियों की लापरवाही के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. हाल ही में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया, जिसमें एक स्टेशन मास्टर की गलती के कारण रेलवे विभाग को भारी नुकसान उठाना पड़ा. स्टेशन मास्टर अपनी ड्यूटी के दौरान पत्नी से फोन पर बात कर रहा था, और उसके ‘ओके’ शब्द को एक लोकोपायलट ने ट्रेन को आगे बढ़ाने की हरी झंडी समझ लिया. इस गलतफहमी के कारण ट्रेन माओवाद प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गई, जिससे रेलवे को 3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस गलती की वजह से विभाग ने स्टेशन मास्टर को निलंबित कर दिया है.

कैसे हुई गलती?

कुछ मीडिया रिपोर्ट के आधार पर, विशाखापत्तनम निवासी स्टेशन मास्टर की पत्नी ने एक रात उन्हें ड्यूटी के दौरान फोन किया. दोनों के बीच फोन पर कहासुनी हो गई, और स्टेशन मास्टर ने झगड़ा समाप्त करते हुए ‘ओके’ शब्द कह दिया. दुर्भाग्यवश वह इस बात को भूल गया कि उनका माइक्रोफोन चालू था, और इस ‘ओके’ शब्द को दूसरे ट्रेन ड्राइवर ने हरी झंडी मान लिया. नतीजा यह हुआ कि ट्रेन को एक ऐसे मार्ग पर भेज दिया गया जो माओवादी गतिविधियों के लिए संवेदनशील था. हालांकि, किसी प्रकार की दुर्घटना तो नहीं हुई, लेकिन इस घटना से रेलवे को 3 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा.

पत्नी के साथ चल रहा था विवाद

बता दें कि यह कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है क्योंकि स्टेशन मास्टर की व्यक्तिगत जिंदगी भी काफी उलझी हुई थी. जानकारी के अनुसार, दोनों की शादी 12 अक्टूबर 2011 को हुई थी, लेकिन उसकी पत्नी अपने पुराने प्यार को भुला नहीं पा रही थी. इस कारण दोनों के बीच लगातार विवाद होता रहता था. स्टेशन मास्टर ने अपनी पत्नी के माता-पिता से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन बात नहीं बनी. उनकी पत्नी रात में भी अपने पुराने प्रेमी से बातचीत करती थी, जिससे उनके बीच विवाद और गहरा गया.

तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

मामला यहां तक पहुंच गया कि घरेलू कलह और विवादों से परेशान स्टेशन मास्टर ने विशाखापत्तनम की पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल कर दी. उसकी पत्नी ने उस पर, उसके पिता और परिवार के अन्य सदस्यों पर आईपीसी की धारा 498A के तहत उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया. उसकी पत्नी ने इस मामले को दुर्ग ट्रांसफर कराने की मांग की और सुप्रीम कोर्ट से इसे मंजूरी मिल गई है.

उच्च न्यायालय ने दी तलाक की मंजूरी

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जब यह मामला पहुंचा, तो जांच में यह सामने आया कि पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप झूठे थे. उसने अपने पति पर उसकी भाभी के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाया था, जो पूरी तरह से निराधार निकला. कोर्ट ने इसे मानसिक क्रूरता का मामला मानते हुए स्टेशन मास्टर को तलाक की अनुमति दी. जज ने कहा कि झूठे आरोप लगाकर पत्नी ने मानसिक क्रूरता की सीमा पार कर दी है, और इसे वैवाहिक रिश्ते के अंत के लिए पर्याप्त माना गया.

रेलवे की सख्त कार्रवाई, नौकरी पर भी संकट

उधर, स्टेशन मास्टर की गलती से हुए भारी आर्थिक नुकसान के कारण रेलवे ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे निलंबित कर दिया है. इस सजा से उसकी पारिवारिक स्थिति और भी खराब हो गई और तलाक के मुकदमे में भी यह मामला उसके खिलाफ इस्तेमाल हुआ. इस घटना ने न केवल रेलवे को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया, बल्कि स्टेशन मास्टर के जीवन पर भी गहरा प्रभाव छोड़ा है.