Rajasthan News: ‘खा रहे हैं घी, गुड़ और मिठाईयां’, राजस्थान के इस गांव में आतंक मचा रहे भालू

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Rajasthan News: राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व में टाइगर के अलावा पैंथर, लेपर्ड और भालुओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पहले जहां टाइगर की मूवमेंट ही देखने को मिलती थी, अब पैंथर, लेपर्ड और भालू भी आबादी वाले इलाकों में घुसने लगे हैं. खासकर रणथंभौर से सटे गांवों में ये वन्यजीव आबादी के करीब आने लगे हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रणथंभौर के पास खंडार क्षेत्र के तलावड़ा, गोठ बिहारी, निमली, जैतपुर, बहरावंडा और नायपुर जैसे गांवों में भालू रात के समय रणथंभौर के जंगलों से बाहर आकर आबादी वाले क्षेत्रों में घुस (Rajasthan News) आते हैं. पिछले 10-15 दिनों से तलावड़ा और गोठ बिहारी गांवों में भालू के भ्रमण से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है. भालू रात के समय दुकानों और घरों के दरवाजे तोड़ने की कोशिश करता है, जिससे लोग पूरी रात डर के साये में रहते हैं.

भालू के हमलों की घटनाएं

गांव के निवासी नीरज, कैलाश, मुकेश और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि रात होते ही भालू गांव के गली-मोहल्लों में घूमने लगता है. कभी भालू घरों के दरवाजे तोड़कर खाने-पीने का सामान खा जाता है. मुकेश योगी की दुकान का दरवाजा भालू ने तोड़कर मिठाई और गुड़ खा लिया था. इसके अलावा, भालू ने गांव के भैरूजी के मंदिर में घुसकर वहां रखे घी, गुड़ और मिठाईयां खा लीं.

वन अधिकारियों से बार-बार शिकायत

ग्रामीणों ने कई बार वन अधिकारियों से भालू को पकड़कर जंगल में वापस छोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. यही नहीं, रणथंभौर दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर परिसर में भी भालू रात के समय दुकानों में घुस जाते हैं और मिठाई, घी, गुड़ जैसे खाद्य सामग्री को खा जाते हैं.

दुकानदारों ने अपनाया सुरक्षा उपाय

रणथंभौर दुर्ग में स्थित मिठाई और प्रसाद की दुकानदार अब रात में अपने दरवाजे मजबूती से बंद कर देते हैं, लेकिन यदि दरवाजा थोड़ा भी कमजोर रह जाता है, तो भालू उसे तोड़कर अंदर घुस जाता है. दुकानदार अब मिठाई और घी को लोहे के डिब्बों या आलमारियों में रखकर जाते हैं ताकि भालू से बचा जा सके.

हालांकि, यह समस्या पिछले कुछ वर्षों से चल रही है, लेकिन अब रणथंभौर के आसपास के गांवों में भालू की मूवमेंट बढ़ गई है, जिससे ग्रामीणों में लगातार डर बना हुआ है. ग्रामीणों की मांग है कि वन विभाग इस गंभीर समस्या पर ध्यान दे और इन वन्यजीवों को आबादी से दूर रखने के लिए प्रभावी कदम उठाए.

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