Raksha Bandhan: गाय के गोबर से राखी बनाकर महिलाओं ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

Published

औरंगाबाद/बिहार: औरंगाबाद की महिलाओं ने इस बार अनोखे तरीके से रक्षाबंधन मनाने का फैसला किया है. कुटुंबा प्रखंड चपरा गांव के पंचदेव मंदिर में महिलाएं देसी गाय के गोबर से राखियां बना रही हैं. इन राखियों को सिर्फ औरंगाबाद जिले में ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में भी भेजा जाएगा.

गाय के गोबर से राखी बना रही महिलाएं

बता दें कि यह राखियां देश के जवानों की भी कलाइयों की शोभा बढ़ाएंगी. झारखंड के जमशेदपुर से औरंगाबाद के पंचदेव धाम आईं सीमा पांडेय ने बताया कि वो यहां की युवतियों और महिलाओं को गोबर से राखियां बनाना सिखा रहीं हैं.

इसके अलावा यहां की महिलाएं गोबर से दीपक, खिलौने, देवी देवताओं की मूर्तियां, अगरबत्ती, धूप बत्ती, डायबिटीज एवं बीपी मैट, मोबाइल रेडिएशन प्रोटेक्शन सहित कई प्रकार की सामग्रियां बनाना सीख रहीं हैं. सीमा पांडेय ने कहा कि अब महिलाएं आत्मनिर्भर होना चाहतीं हैं. मंदिर कमिटी के द्वारा सभी महिलाओं को उनके काम के आधार पर दैनिक भुगतान किया जाता है.

कई शहरों में भेजी जाएगी राखी

सीमा पांडेय ने बताया कि आधुनिकता की होड़ में हम चाईनीज एवं फैंसी राखियों को उपयोग में ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ इको फ्रेंडली हैं, बल्कि इसे गमले में डालकर खाद के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि इन राखियों में किसी न किसी पौधे के बीज भी समाहित रहते हैं.

सीमा ने कहा कि 700 राखी का डिमांड बद्रीनाथ से आया है. इसके अलावा पांच सौ राखियां पटना के एक चिकित्सक को भेजी जाएगी, जो महादलित बच्चों के बीच वितरित की जाएंगी. ऐसे ही 500 राखियां दिल्ली की एक संस्थान को भेजी जाएगी. बता दें कि लगभग तीन लाख राखियों को बनाने का कार्य जोर शोर से चल रहा है.