Ratan Tata revenge story: जब रतन टाटा ने Ford Motors के चेयरमैन को सिखाया था सबक; Bill Ford ने भारत आकर मांगी थी माफी

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Ratan Tata revenge story: देश के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) न केवल अपनी कारोबारी समझदारी के लिए बल्कि अपनी सादगी और धैर्य के लिए भी जाने जाते थे। उनके जीवन में कई ऐसी कहानियां हैं, जो उनकी अद्वितीय क्षमता और दूरदर्शिता को दर्शाती हैं। एक ऐसी ही प्रेरणादायक और दिलचस्प कहानी 90 के दशक की है, जब रतन टाटा ने अमेरिकी कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) के चेयरमैन बिल फोर्ड (Bill Ford) से मिले अपमान का बदला बेमिसाल तरीके से लिया था।

टाटा इंडिका की चुनौतीपूर्ण लॉन्चिंग!

यह कहानी 90 के दशक की है, जब रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने अपनी पहली पैसेंजर कार टाटा इंडिका (Tata Indica) लॉन्च की थी। रतन टाटा ने भारत में एक स्वदेशी कार बनाने का सपना देखा था, लेकिन टाटा इंडिका की लॉन्चिंग के बाद उसे ग्राहकों से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली। कंपनी को लगातार घाटा हो रहा था, और इसके चलते रतन टाटा ने पैसेंजर कार डिविजन को बेचने का विचार किया। इसी सिलसिले में उन्होंने अमेरिकन कंपनी Ford Motors से संपर्क किया।

बिल फोर्ड द्वारा रतन टाटा का अपमान

फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) के साथ डील के लिए रतन टाटा और उनकी टीम अमेरिका गए। वहां हुई मीटिंग में, Ford Motors के चेयरमैन बिल फोर्ड ने न केवल सौदे की पेशकश को अस्वीकार किया, बल्कि रतन टाटा का अपमान करते हुए कहा, “तुम्हें कार बिजनेस के बारे में कुछ नहीं पता, तुमने इस डिविजन की शुरुआत क्यों की? अगर हम यह सौदा करते हैं तो यह तुम्हारे ऊपर बहुत बड़ा एहसान होगा।” बिल फोर्ड के ये शब्द रतन टाटा के लिए तीर की तरह थे, लेकिन उन्होंने इस अपमान का शांति से सामना किया और बिना किसी विवाद के वापस भारत लौट आए।

अपमान को प्रेरणा में बदलने का हुनर था रतन टाटा के पास

रतन टाटा ने अपने इस अपमान का कोई जवाब तुरंत नहीं दिया, बल्कि उन्होंने इसे अपने लिए प्रेरणा बना लिया। उन्होंने अपने पैसेंजर कार डिविजन को बेचने का विचार छोड़ दिया और कंपनी को मजबूत बनाने के लिए दिन-रात मेहनत शुरू कर दी। रतन टाटा का धैर्य और दूरदर्शिता रंग लाई और लगभग 9 साल बाद 2008 में टाटा मोटर्स ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बना ली।

Ford Motors से 9 साल बाद लिया बदला

जब रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स बुलंदियों पर पहुंच चुकी थी, उस समय Ford Motors बुरी तरह से आर्थिक संकट में थी। कंपनी का लग्जरी ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर भारी घाटे में चल रहा था और फोर्ड इसे बेचने के लिए खरीददार तलाश रही थी। यह वही समय था जब रतन टाटा ने Ford Motors को अपना कड़ा जवाब देने का अवसर देखा।

रतन टाटा का ऐतिहासिक सौदा; बिल फोर्ड आना पड़ा भारत

2008 में रतन टाटा ने Ford Motors के जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड्स को खरीदने का प्रस्ताव रखा। इस बार परिस्थिति पूरी तरह से बदल चुकी थी। अब Ford Motors आर्थिक संकट में थी और रतन टाटा को अमेरिका नहीं जाना पड़ा, बल्कि फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड को अपने पूरे दल के साथ मुंबई आना पड़ा। यह वही व्यक्ति था जिसने नौ साल पहले रतन टाटा का अपमान किया था।

बिल फोर्ड के बदलते सुर, नौ साल बाद बिल फोर्ड, रतन टाटा के सामने झुके

मुंबई में जब रतन टाटा और बिल फोर्ड के बीच इस सौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा था, तो इस बार बिल फोर्ड के सुर पूरी तरह बदल चुके थे। उन्होंने रतन टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा, “आप जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदकर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं।” यह वही शब्द थे जो उन्होंने नौ साल पहले रतन टाटा के लिए अपमानजनक रूप से कहे थे। (Ratan Tata revenge story)

यह सौदा टाटा मोटर्स के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ। जैगुआर और लैंड रोवर टाटा मोटर्स के सबसे सफल ब्रांड्स में शामिल हो गए। आज ये ब्रांड्स न केवल टाटा मोटर्स की पहचान हैं, बल्कि उनकी वैश्विक सफलता का प्रतीक भी हैं।

रतन टाटा की धैर्य और दूरदर्शिता से पूर्ण इस कहानी से यह साफ है कि रतन टाटा न केवल एक महान उद्योगपति थे, बल्कि उनके धैर्य, सम्मान और दूरदर्शिता ने उन्हें अन्य उद्योगपतियों से अलग बनाया। उन्होंने बिना किसी गुस्से या त्वरित प्रतिक्रिया के नौ साल बाद वह बदला लिया, जो उन्हें अपमानित किए बिना मिला। इस प्रकार रतन टाटा ने यह साबित किया कि बदले की सबसे बड़ी ताकत शांतिपूर्ण और धैर्यपूर्ण प्रतिक्रिया में निहित होती है।

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