नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार (3 अक्टूबर) को ईशा फाउंडेशन (Sadhguru’s Isha Foundation case) को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए केस खुद को ट्रांसफर कर लिया। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 18 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।
क्या है पुरा मामला?
ज्ञात हो कि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास उच्च न्यायालय में दायर हेबियस कॉर्पस पिटीशन में ईशा फाउंडेशन (Sadhguru’s Isha Foundation case) पर यह आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों को आश्रम में बंधक बनाकर रखा गया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने आश्रम के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट मांगे जाने के एक दिन बाद मंगलवार (2 अक्टूबर) को कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में 150 पुलिसकर्मी पूछताछ करने के लिए ईशा फाउंडेशन के आश्रम में घुसे।
अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही थीं लड़कियां
गौरतलब है कि फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि आश्रम का रिकॉर्ड बेदाग है और जिन दो महिलाओं को जबरन बंधक बनाने का आरोप है, वे भी आरोपी हैं। मद्रास उच्च न्यायालय में उपस्थित हुए और कहा कि वे अपनी इच्छा से वहां आये थे। अधिवक्ता के दलील पर CJI ने कामराज की दोनों बेटियों से बात की। इस के बाद पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगाने का आदेश पारित किया। कामराज की बेटियों ने फोन पर बातचीत के दौरान CJI को बताया कि वो अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं और मर्जी से आश्रम से बाहर आ जा सकती हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा?
Sadhguru’s Isha Foundation मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कहा कि “आप सेना या पुलिस को इस तरह के संस्थान में प्रवेश नहीं करने दे सकते। उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस को सद्गुरु के ईशा योग फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर आगे की पुलिस कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में पुलिस द्वारा स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
-गौतम कुमार