बांग्लादेश में हिंसा के बीच SC का बड़ा फैसला, 93 % भर्ती मेरिट के आधार पर होगी

Published
Bangladesh Violence over Job Quota
Bangladesh Violence over Job Quota

Bangladesh Supreme Court: बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश को अवैध करार दिया जिसमें सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को बनाए रखने की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब 93% सरकारी नौकरियां (government jobs) मेरिट के आधार पर भरी जाएंगी। सिर्फ 7% पद 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों और अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित होंगे। यह फैसला बांग्लादेश के युवाओं के लिए बड़ी राहत की खबर है।

कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों का आंदोलन

बीते एक हफ्ते से बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। छात्रों के प्रोटेस्ट ने हिंसक रूप ले लिया है। हिंसा ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका समेत देश के कई शहरों को चपेट में ले लिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आरक्षण के चलते सिविल सेवाओं में उन लोगों के बच्चों का ज्यादा चयन होता है। जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। इन वर्गों को शेख हसीना सरकार का समर्थक माना जाता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इसी वजह से नौकरशाही में उन लोगों की संख्या ज्यादा है। जो शेख हसीना सरकार के समर्थक हैं और इस तरह देश के अधिकतर संस्थानों पर सरकार समर्थक लोगों का कब्जा है। इसलिए प्रदर्शन कर रहे छात्र सरकार से मांग कर रहे हैं।

अदालत के फैसले के बाद शुरू हुई हिंसा

बता दें कि 2018 में शेख हसीना सरकार ने कोटा प्रणाली को निलंबित कर दिया था। लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने पिछले महीने कोटा प्रणाली को बनाए रखने का आदेश दिया। इसके बाद पूरे बांग्लादेश में फिर से हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। (Violent protests) प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और बसों व ट्रेनों को आग लगा दी। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सरकार को सेना तैनात करनी पड़ी है।

किस मुद्दे पर हो रहा है हंगामा

1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को बांग्लादेश में वॉर हीरो कहा जाता है। देश में एक तिहाई सरकारी नौकरियां इन वॉर हीरो के बच्चों के लिए आरक्षित हैं। इसी के खिलाफ छात्र मुखर हैं और रैलियां निकाल रहे हैं। आरक्षण की मियाद को कम करने की मांग कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि आरक्षण की बजाए मेरिट के आधार पर नौकरी मिलनी  चाहिए। बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी आरक्षण को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं.. शेख हसीना सरकार ने हिंसा को देखते हुए देश के सभी स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का आदेश दिया है।

लेखक – आयुष राज