जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में बुधवार शाम को एक आदेश जारी किया गया, जिसमें सभी सरकारी और निजी स्कूलों को विद्यार्थियों के लिए पिकनिक पर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. राजौरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी विशंभर दास द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया है कि पिकनिक पर ले जाने की स्थिति में स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और किसी भी घटना की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की होगी. सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले के पीछे सुरक्षा कारण हैं, क्योंकि हाल के दिनों में राजौरी में कई संदिग्ध गतिविधियां देखी गई हैं और सुरक्षा बल कई क्षेत्रों में तलाशी अभियान चला रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर में कुलगाम जिले में बुधवार दोपहर से शुरू हुई सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ अभी भी जारी है. इस मामले में अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि एनकाउंटर यारीपोरा के बाडीमर्ग में चल रहा है. यहां पर 2-3 आतंकी छिपे होने की संभावना है. आगे की कार्रवाई के लिए अतिरिक्त फोर्स भी बुलाई गई है. और इलाके में देर रात लाइटें लगाई गईं है, ताकि आतंकी अंधेरे का फायदा उठा भाग न सकें.
बता दें कि नवंबर के शुरुआती 9 दिनों में सेना ने 8 आतंकियों को ढेर किया है. वहीं, नॉर्थ कश्मीर में पिछले 8 दिनों में यह छठी मुठभेड़ है. इससे पहले बांदीपोरा, कुपवाड़ा और सोपोर में मुठभेड़ हो चुकी है. इससे भी पहले 10 नवंबर को किश्तवाड़ के केशवान के जंगलों में एनकाउंटर हुआ था.
क्या कहते हैं आंकड़े?
साउथ एशिया टेररिज़्म पोर्टल ने जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों में घटित चरमपंथी घटनाओं से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 2020 से लेकर 2024 तक की हत्याओं की घटनाओं में बदलाव देखा गया है.
साल 2020 में कुल 140 हत्या की घटनाएं दर्ज की गईं हैं, इनमें 33 आम लोग, 56 सुरक्षाकर्मी और 232 चरमपंथी मारे गए थे. जिसके बाद साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 153 घटनाओं तक पहुंच गया, जिनमें 36 आम लोग, 45 सुरक्षाकर्मी और 193 चरमपंथी मारे गए. साल 2022 में हत्या का सिलसिला कुछ कम रहा लेकिन घटनाएं बराबर ही रहीं. इस दौरान 151 घटनाएं सामने आईं, जिनमें 30 आम लोग, 30 सुरक्षाकर्मी और 193 चरमपंथी मारे गए थे. वहीं, साल 2023 में इन घटनाओं में कमी आई और कुल 72 हत्याएं हुईं. इस वर्ष में 12 आम लोग, 33 सुरक्षाकर्मी और 87 चरमपंथी मारे गए.
हालांकि, 2024 के पहले सात महीने में अब तक 58 घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें 30 आम लोग, 26 सुरक्षाकर्मी और 63 चरमपंथी मारे गए हैं. इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में चरमपंथी घटनाओं की संख्या में उतार-चढ़ाव देखा गया है. जहां 2020 और 2021 में घटनाओं की संख्या अधिक थी, वहीं 2023 और 2024 में घटनाओं में कमी आई है, लेकिन सुरक्षा बलों और आम लोगों के लिए अभी भी खतरा बना हुआ है.