नई दिल्ली/डेस्क: 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है, जो शनिवार को पड़ रही है, और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी है। इस मौके पर हम आपको बताएंगे कुछ आम नियम और विधान जिनका आपको इस महत्वपूर्ण दिन पर पालन करना चाहिए, आइए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या के दिन ऐसी कौन सी चीज हैं, जो भूलकर भी नहीं करनी चाहिए
समय का रखे विशेष ध्यान
सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कार्यों को सुबह और रात्रि को नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान, श्राद्ध का सही समय दोपहर का होता है। इस समय श्राद्ध करने से विशेष पुण्य मिलता है। इस दिन किसी से बुरा व्यवहार करना या बड़े लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
किसे करना चाहिए श्राद्ध
यदि घर में एक से अधिक पुत्र हैं, तो छोटे पुत्र को श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। अगर पुत्र नहीं है, तो पत्नी को श्राद्ध करना चाहिए। पत्नी नहीं हो है तो भाई बजी श्राद्ध कर सकते हैं। अगर एक से अधिक पुत्र हैं, तो बड़े पुत्र को ही श्राद्ध करना चाहिए। इस नियम का पालन न करने पर पितर नाराज हो सकते हैं।
लोहे और स्टील के बर्तन का उपयोग नहीं करें
सर्वपितृ अमावस्या के दिन लोहे और स्टील के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। आप पीतल के बर्तन का प्रयोग कर सकते हैं। ध्यान दें कि पितरों को अर्पित किए जाने वाला भोजन न तो चखना चाहिए और न ही भगवान को इसका भोग लगाना चाहिए।
ऐसे दे जल
सर्वपितृ अमावस्या के दिन, पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म में काले तिल का प्रयोग करें। पितरों को अंगूठे से अन्न और जल दें, उंगली से नहीं।
यात्रा नहीं करें
इस दिन कहीं की यात्रा करने से बचें, यदि यह आवश्यक नहीं है। यह नियम चातुर्मास से लागू होता है, लेकिन सर्वपितृ अमावस्या के दिन भी इसे ध्यान में रखें।
अनैतिक कार्य से बचें
इस दिन झूठ बोलना, सट्टा लगाना, वाद-विवाद करना, छल-कपट करना, चोरी करना, और अनैतिक कार्यों से बचना चाहिए।
नोट: इस कंटेंट का मुख्य उद्देश्य यह है कि आप अपनी आस्था और विश्वास पर ज्योतिष और धर्म के उपाय और सलाहों को अपनाएं, लेकिन हम किसी प्रकार का दावा नहीं कर रहे हैं, बल्कि बस आपको बेहतर सलाह देने का प्रयास कर रहे हैं।