उत्तर प्रदेश: दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है, इसी के साथ सपा ने सभी समाज को जोड़ने की नई रणनीति बनाई है, समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना खोया हुआ सियासी जनाधार पाने की कोशिश में है, जिसे लेकर सोमवार को लखनऊ में सपा का ओबीसी सम्मेलन होने जा रहा है.
बीजेपी को इसी राह पर रोकने के लिए सपा सियासी बिसात बिछाने में जुट गई है. पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बहाने बीजेपी हिंदुत्व को धार देने और गैर-यादव ओबीसी को मजबूती से जोड़े रखने रणनीति पर काम कर रही है. वहीं, सपा ने बीजेपी के वोटबैंक में सेंधमारी का प्लान बनाया है. इस सम्मेलन में अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग की जातियों को साधते हुए नजर आएंगे.
सपा ने ओबीसी के तर्ज पर सवर्ण जातियों को भी अपने पाले में लाने के लिए रूपरेखा बनाई है, जिसमें ठाकुर से लेकर ब्राह्मण, वैश्य और कायस्थ समाज के अलग-अलग सम्मेलन किए जाएंगे. सपा ने ओबीसी बाहुल्य घोसी विधानसभा सीट पर ठाकुर समुदाय से कैंडिडेट सुधाकर सिंह को उतारकर अपनी सियासी मंशा पहले ही जारी कर दी है और अगले महीने से अलग-अलग जिलों में ठाकुर जाति को जोड़ने के लिए ‘सामाजिक एकीकरण सम्मेलन’ करने जा रही है. सपा जिस जाति का सम्मेलन करेगी, उस कार्यक्रम की जिम्मेदारी उसी समाज के नेताओं को सौंपी गई है.
गैर-यादव ओबीसी की जिम्मा सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को सौंपी गई तो ठाकुर समुदाय को जोड़ने का बीड़ा जूही सिंह को सौंपी गई है. इसी तरह से दूसरी जातियों के नेताओं को भी कमान दी गई है. इस तरह से सपा ने मिशन-2024 के लिए अपने खिसके हुए सियासी जनाधार को वापस लाने और नए वोटबैंक को जोड़ने की मुहिम पर काम कर रही है ताकि चुनावी रणभूमि में बीजेपी से मुकाबला किया जा सके.
लेखक: इमरान अंसारी