SpaceX’s big announcement! बदल चुकी है एयर ट्रैवल की तस्वीर, मात्र 30 मिनट में दिल्ली से अमेरिका पहुंच जाएंगे आप…

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Era of Starships: आप अगर यातायात को सुघम बनाने की कल्पना कर सकते हैं, तो कितनी? ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है. इसी सवाल को काल्पनिक दुनिया से वास्तविक दुनिया में लाने के काम एनल मस्क की कंपनी स्पेशएक्स ने पूरा कर लिया है, जो अब आपके सपनों को हकीकत में बदने वाली है. स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान किया है कि उनकी कंपनी स्पेसएक्स द्वारा विकसित “अर्थ-टू-अर्थ अंतरिक्ष यात्रा परियोजना” जल्द ही शुरू में बदलने वाली है! इस योजना के तहत, स्पेसएक्स का शक्तिशाली स्टारशिप रॉकेट पृथ्वी के विभिन्न शहरों के बीच बेहद तेज यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा. मस्क के अनुसार, इस रॉकेट के जरिए एक घंटे से भी कम समय में दुनिया के किसी भी प्रमुख शहर में पहुंचना संभव होगा.

कितना पावर फुल है स्पेसएक्स का स्टारशिप रॉकेट?

स्पेसएक्स द्वारा विकसित स्टारशिप रॉकेट को दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट माना जाता है. यह रॉकेट लगभग 395 फुट लंबा है और स्टेनलेस स्टील से बना हुआ है, जो इसे अन्य रॉकेटों से कहीं अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाता है. स्टारशिप रॉकेट को दो-चरणीय प्रणाली पर डिजाइन किया गया है, जिसमें सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप का मुख्य हिस्सा शामिल है. सुपर हैवी बूस्टर के 33 इंजन मिलकर 74 मेगान्यूटन का थ्रस्ट उत्पन्न करते हैं, जो किसी भी सामान्य यात्री विमान के मुकाबले 700 गुना अधिक शक्तिशाली है.

अर्थ-टू-अर्थ यात्रा की योजना

एलन मस्क ने यह दावा किया है कि स्टारशिप रॉकेट का उपयोग अर्थ-टू-अर्थ यात्रा के लिए किया जाएगा, जिसका मतलब है कि यह रॉकेट एक ही घंटे से भी कम समय में दुनिया के प्रमुख शहरों के बीच यात्रा करा सकेगा. मस्क के अनुसार, यह रॉकेट अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचकर पृथ्वी के समानांतर यात्रा करेगा, जिससे शहरों के बीच यात्रा की दूरी बहुत कम हो जाएगी. कुछ मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, लॉस एंजेल्स और टोरंटो के बीच यात्रा का समय केवल 24 मिनट होगा. वहीं, लंदन और न्यूयॉर्क के बीच की यात्रा सिर्फ 29 मिनट में पूरी हो सकेगी. इतना ही नहीं दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को के बीच की दूरी सिर्फ 30 मिनट में तय हो जाएगी.

स्पेसएक्स की ये तकनीक को समय की बचत करने वाली साबित होगी! क्योंकि इसकी यात्रा का समय विमान से यात्रा करने के समय से काफी कम होगा, जिससे यात्रियों को जल्दी से जल्दी गंतव्य तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा, स्टारशिप के यात्रा मार्ग में यात्रियों को गुरुत्वाकर्षण बल (G-Force) का अनुभव होगा, जो टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान महसूस किया जाएगा. यात्रियों को इन परिस्थितियों में हवाई यात्रा के जैसे ही अपनी सीट बेल्ट लगानी होगी.

स्टरशिप की 5वीं परीक्षण उड़ान कैसी रही

स्पेसएक्स का लक्ष्य है कि स्टारशिप रॉकेट पूरी तरह से पुनः उपयोगी हो, जिससे रॉकेट के घटकों को फिर से इस्तेमाल किया जा सके और यात्रा की लागत में कमी लाई जा सके. हाल ही में, स्पेसएक्स ने स्टारशिप की 5वीं परीक्षण उड़ान में सफलता प्राप्त कर चुका है, एनल मस्क द्वारा एक्स पर शेयर की गई एक वीडियो के अनुसार, जब रॉकेट के निचले हिस्से को लॉन्च पैड पर वापस लाया गया. इसके बाद, रॉकेट को बड़े यांत्रिक भुजाओं द्वारा हवा में पकड़ा गया. हालांकि, अगले मिशन में स्टारशिप के ऊपरी हिस्से को भी इसी प्रकार पुनः लाने का लक्ष्य है. इस प्रक्रिया से रॉकेट को अधिक किफायती और त्वरित रूप से पुनः उपयोगी बनाया जा सकेगा.

क्या स्टारशिप मंगल ग्रह पर जाएगा?

एलन मस्क का सपना केवल पृथ्वी के शहरों के बीच तेज यात्रा नहीं है, बल्कि उनका बड़ा उद्देश्य मंगल ग्रह पर मानव बस्तियां बसाना है. स्पेसएक्स की योजना है कि स्टारशिप रॉकेट एक दिन मंगल ग्रह तक मानवता को ले जाए. हालांकि, फिलहाल स्टारशिप के किसी भी मिशन में मानव चालक दल को भेजने की कोई योजना नहीं है, लेकिन मस्क का मानना है कि यह रॉकेट भविष्य में मंगल ग्रह तक मानवता को पहुंचाने के लिए प्रमुख भूमिका निभाएगा. जिसका एक वीडियो सोमवार की सुबह एनल मस्क ने अपने एक्स अकाउंट से शेयर भी किया है. जिसके कैप्शन में लिखा है- “Welcome to Terminus, Mars”. यह वीडियो पूरा एनिमेटेड है. जिसमें मंगल यात्रा के भविष्य को दर्शाया गया है!

स्टारशिप की ताकत और डिजाइन

स्पेसएक्स के स्टारशिप रॉकेट की ताकत को समझने के लिए यह आंकड़ा काफी प्रभावशाली है। इस रॉकेट में 33 इंजन होते हैं, जो मिलकर 74 मेगान्यूटन का थ्रस्ट उत्पन्न करते हैं. यह ताकत सामान्य यात्री विमानों से लगभग 700 गुना अधिक है. यदि आपने एयरलिंगस, ब्रिटिश एयरवेज या लुफ्थांसा से उड़ान भरी है, तो कल्पना करें कि उनकी उड़ान में से एक उड़ने का अनुभव कैसे होगा, और उसे 700 से गुणा करें. अगर उसकी लंबाई की बात करें, तो स्टारशिप रॉकेट की लंबाई अब 120 मीटर तक बढ़ चुकी है, जो इसे पहले से कहीं अधिक विशाल और शक्तिशाली बनाती है. इस रॉकेट को 150 टन वजन वाले पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है, जो इसे किसी भी पूर्ववर्ती रॉकेट से कहीं अधिक सक्षम बनाता है.

बता दें कि स्पेसएक्स के इस अर्थ-टू-अर्थ यात्रा प्रोजेक्ट से अंतरराष्ट्रीय यात्रा का तरीका पूरी तरह बदल सकता है. यदि यह योजना सफल होती है, तो यह भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन और वैश्विक परिवहन के लिए एक नई क्रांति ला सकती है. इसके अलावा, यह परियोजना मंगल ग्रह और अन्य ग्रहों की खोज में भी योगदान दे सकती है.

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