नई दिल्ली: शालीमार बाग में फोर्टिस हॉस्पिटल (Fortis Hospital) द्वारा किए गए एक मेडिकल चमत्कार की घटना के बाद एक 28 वर्षीय महिला के जीवन में अद्भुत परिवर्तन देखने को मिला है। डॉक्टर्स की मानें, तो इस मरीज को स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस और 7 महीने से पैरालिसिस का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने डॉक्टरों की टीम के सहायता से न केवल खुद को स्वस्थ बनाया बल्कि एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया है।
स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस का प्रेग्नेंसी के दौरान पता चला
इस महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान ही स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस का पता चला, जिसके कारण उनके पैरों में पूरी तरह से लकवा हो गया था। इसके बावजूद, उन्होंने ने अपनी आत्मविश्वास और संघर्ष की भावना बनाए रखी और मरीज ने दृड़ इच्छाशक्ति के साथ इलाज का सामना किया। उनके परिवार और डॉक्टरों की मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने मिलकर एक विशेष चिकित्सा योजना तैयार की जिसमें सर्जरी, फिजियोथेरेपी, और गर्भावस्था का ध्यान रखा गया।
डॉ सोनल गुप्ता, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग के डायरेक्टर एवं एचओडी न्यूरोसर्जरी ने बताया कि इस मामले में गर्भवती महिला के लकवाग्रस्त होने के बावजूद, डॉक्टरों ने सुरक्षित सर्जरी और इलाज का संयोजन किया। महिला ने न सिर्फ खुद को स्वस्थ बनाया, बल्कि उन्होंने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।
डॉ सोनल ने इस मामले को “मेडिकल इतिहास में अपनी तरह का बेहद दुर्लभ मामला” बताया और महिला की सहायता के लिए एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम के साथ काम किया गया। मरीज की इस सफल उपचार कहानी से यह बात तो बिल्कुल साफ हो चुकी है कि उम्मीद और संघर्ष से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। उन्होंने इस मुश्किल समय में अपने परिवार और डॉक्टरों के साथ मिलकर संघर्ष किया और अच्छे परिणाम प्राप्त (स्वस्थ शिशु को जन्म दिया) किए।
फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग के दीपक नारंग ने इस मामले को एक “मेडिकल एक्सीलेंस का ऐसा मामला” बताया और उचित मेडिकल इंटरवेंशन के साथ एक सफल उपचार का प्रशंसा की। इस मामले से यह सिखने को मिलता है कि सही टीम और सही इलाज के साथ हर चुनौती का सामना किया जा सकता है और जीवन को एक नई दिशा में मोड़ा जा सकता है।