पानी पीना बंद कर दें, नहीं तो शरीर में चले जाएंगे 2 लाख से ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े

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नई दिल्ली/डेस्क: पानी की साधारित एक बोतल (1 लीटर) में करीब 2,40,000 प्लास्टिक कण पाए जाते हैं, जिसकी खोज एक नए अध्ययन में की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन कणों में से अधिकांश को पहचाना नहीं जा सकता है। प्लास्टिक प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को अब तक हमेशा नजरअंदाज किया गया है, लेकिन यह नया अध्ययन इस मुद्दे को और भी महत्वपूर्ण बना रहा है। इसमें पहली बार बोतलबंद पानी में मौजूद नैनोप्लास्टिक्स का मूल्यांकन किया गया है।

नैनोप्लास्टिक्स वे छोटे प्लास्टिक कण हैं जो लंबाई में 1 माइक्रोमीटर से छोटे होते हैं और मानव बाल के 1/70वें हिस्से के बराबर होते हैं। इस अध्ययन के अनुसार, बोतलबंद पानी में पहले से 100 गुना अधिक प्लास्टिक पार्टिकल्स मौजूद हो सकते हैं, जिसमें 90% नैनोप्लास्टिक्स हो सकते हैं।

नैनोप्लास्टिक्स का मानव शरीर में प्रवेश होने का खतरा है, क्योंकि यह मानव कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है, रक्तप्रवाह में शामिल हो सकता है, और शरीर के अंगों को प्रभावित कर सकता है। विशेषकर, नैनोप्लास्टिक्स प्लेसेंटा के माध्यम से अजन्मे शिशुओं के शरीर में भी जा सकता है। हालांकि, इससे आगे की तथ्यात्मक खोजों के माध्यम से हम इस समस्या का समाधान ढूंढ़ सकते हैं और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने की दिशा में कदम उठा सकते हैं।

बोतलबंद पानी में वैज्ञानिकों की रुचि

इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए शोधकर्ताओं ने एक नई माइक्रोस्कोप तकनीक का अविष्कार किया है। उन्होंने एक डेटा-संचालित एल्गोरिथ्म को प्रोग्राम किया और अमेरिका में तीन प्रमुख ब्रांडों की लगभग 25 पानी की बोतलों का विश्लेषण किया है, जिससे चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। इस अध्ययन में प्रति लीटर में 1,10,000 से 3,70,000 छोटे प्लास्टिक कण पाए गए हैं, जिनमें से 90% नैनोप्लास्टिक हैं।

शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक के सात प्रकारों पर शोध किया है, जिसमें पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (PET) शामिल है, जिसका पानी की बोतलों में इस्तेमाल होता है। साथ ही, पॉलियामाइड भी शामिल किया गया है, जिसे फिल्टर में पानी को शुद्ध करने के लिए अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने बोतलबंद पानी में कई अज्ञात नैनोकणों की भी खोज की है, जिनमें से कुछ नैनोप्लास्टिक हो सकते हैं और इससे बोतलबंद पानी में प्लास्टिक की मौजूदगी और मात्रा ज्यादा हो सकती है।

यह अध्ययन दिखाता है कि प्लास्टिक समस्या निराकरण में हमारे सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, क्योंकि प्लास्टिक कण सामग्रियों का संचार बड़े पैमाने में हो रहा है और हमारे पानी को प्रभावित कर रहा है।

लेखक: करन शर्मा