SC on Bulldozer Action: बुलडोजर कार्रवाई से जुड़े एक मामले में आज (1 अक्टूबर) सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट (SC on Bulldozer Action) ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि सार्वजनिक सुरक्षा सड़कों, जल निकायों या रेल पटरियों पर अतिक्रमण करने वाले धार्मिक ढांचों से अधिक महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत की धर्मनिरपेक्ष स्थिति की पुष्टि की और इस बात पर जोर दिया कि बुलडोजर कार्रवाई और अतिक्रमण विरोधी अभियान पर उसके निर्देश सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो।
सुनवाई के दौरान क्यों बोले जस्टिस गवई
अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई (SC on Bulldozer Action) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई की। इस मामले पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस गवई ने कहा, “चाहे मंदिर हो या दरगाह, यह सब हटाना होगा… जन सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।”
सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा ये मामला?
बता दें कि हाल ही में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें कई राज्यों की सरकारों ने अपराधियों के घरों और उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर एक्शन (SC on Bulldozer Action) के दौरान उनके घर और संप्तियों को ध्वस्त किया गया है। जिसको लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में आरोपी होने के नाते बुलडोजर कार्रवाई को सही नहीं ठहराया जा सकता, चाहे अपराध गंभीर हो। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व नोटिस जारी करना आवश्यक है, जिससे प्रक्रिया में निष्पक्षता बनी रहे।
पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
बता दें कि 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में आदेश दिया था कि बिना अनुमति के देश में किसी भी संपत्ति को नहीं ध्वस्त किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा।