चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली के आरोपों में सुप्रीम कोर्ट का आदेश, रिटर्निंग ऑफिसर मसीह पर मुकदमा चलाया जाए, मसीह ने कबूला… निशान लगाए थे…

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नई दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई धांधली के आरोपों के सम्बंध में मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। इसमें प्रमुख चुनाव अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ उत्तरदाता के तौर पर मुकदमा चलाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरदाता की ओर से मतपत्रों से छेड़छाड़ की बात स्वीकार करते हुए धारा वारंट जारी करने का आदेश दिया है।

ये लोकतंत्र की हत्या है- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मतपत्रों और मतदान की प्रक्रिया की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाओं की मांग की है और रजिस्ट्रार जनरल को सभी रिकॉर्ड सुरक्षित करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अदालत ‘लोकतंत्र की हत्या’ की अनुमति नहीं देगी और धारा वारंट जारी करने का निर्देश दिया गया है।

हॉर्स ट्रेडिंग एक गंभीर मुद्दा- सुप्रीम कोर्ट

इसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुनवाई करने वाली तीन-जजों की पीठ ने हॉर्स ट्रेडिंग की प्रक्रिया को गंभीर मुद्दा बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने रिटर्निंग ऑफिसर मसीह के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है और उन्हें मंगलवार को अदालत में उपस्थित होने की आवश्यकता है।

चंडीगढ़ मेयर पद खाली

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होने से एक दिन पहले रविवार रात बीजेपी के मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया है, जिससे चंडीगढ़ मेयर पद खाली हो गया है। बता दें कि यह घटना आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन पार्षदों के भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने से पहले हुई है, जिससे नगर निगम के संख्या बदल गई है।

मंगलबार को क्या होगा अदालत में?

सुप्रीम कोर्ट ने आगामी सुनवाई के लिए सुरक्षित मतपत्रों को शीर्ष अदालत के सामने प्रस्तुत करने का आदेश दिया है और इसे गंभीरता से लेकर खरीद-फरोख्त होने की संभावना को देखते हुए आयोजित करेगा।

इसमें सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से मतपत्रों और वीडियो के लिए एक न्यायिक अधिकारी नियुक्त करने का भी आदेश दिया है, ताकि रिकॉर्ड को सुरक्षित रखा जा सके। आगे की सुनवाई में यह तय होगा कि धारा वारंट के आदेश के बावजूद कैसे मुकदमा आगे बढ़ता है और क्या नए उत्तरदाता को मामूली बहाने के लिए छोड़ा जाएगा या नहीं।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई इस घटना ने नगर निगम की राजनीति में चर्चा को तेज़ कर दिया है और आगे के चरणों में कैसे बदलाव होते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।