केरल हाई कोर्ट के इस आदेश से Swiggy और Zomato सवालों के घेरे में! HC ने की टिप्पणी…

Published

केरल हाई कोर्ट: पोर्नोग्राफी जैसे अपराध से संबंधित एक मामले में केरल उच्च न्यायालय ने सेक्स, पोर्नोग्राफी और बच्चों के लिए घर का बना भोजन उपलब्ध कराने के महत्व पर कुछ दिलचस्प टिप्पणियां कीं। दरअसल, एक केस की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने ऐसे माता-पिता को सलाह दी है, जो अपने बच्चों को बाहर से खाना ऑर्डर करके खिलाते हैं।

न्यायमूर्ति कुन्हिकृष्णन ने कहा कि अपने बच्चों को स्विगी और ज़ोमैटो जैसे मोबाइल ऐप के माध्यम से खाना ऑर्डर करने की बजाय अपने हाथों से खाना पकार खिलाएं। बच्चों को बाहर खेलने दें और जब बच्चे घर वापस आएं, तो उनकी माताओं द्वारा पकाया गया स्वादिष्ट भोजन खाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें।

केरल हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद Swiggy और Zomato जैसे फूड एप सवालों के घेरे में दिख रहे हैं! इस दौरान न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने माता पिताओं को बच्चों के लिए कुछ दिलचस्प टिप्पणियां की…

घर के बने खाने पर कुन्हिकृष्णन की टिप्पणी

न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने कहा कि, “बच्चों को अपने खाली समय में क्रिकेट या फुटबॉल या अन्य खेल जो उन्हें पसंद हों खेलने दें। स्वस्थ युवा पीढ़ी के लिए वहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इन्हें ही भविष्य में हमारे देश की आशा की किरण बनना है।

‘स्विगी’ और ‘ज़ोमैटो’ के माध्यम से रेस्तरां से खाना खरीदने के बजाय, बच्चों को उनकी मां के हाथ के बने स्वादिष्ट भोजन का स्वाद लेने दें और उस समय बच्चों को खेल के मैदान में खेलने दें। ताकि बच्चे घर वापस आकर मां के हाथ से बने भोजन की मंत्रमुग्ध कर देने वाली खुशबू का आनंद लें। मैं इस फैसले को माता-पिता की बुद्धि पर छोड़ता हूं।”

बच्चों को फोन से दूर रखें

अदालत ने कहा कि, “बच्चों के जन्मदिन पर मां के हाथों से बने स्वादिष्ट भोजन और केक काटने की बजाय, माता-पिता अपने नाबालिग बच्चों को खुश करने के लिए ऐसे अवसरों पर उन्हें उपहार के रूप में इंटरनेट सुविधा वाले मोबाइल फोन दे रहे हैं।

माता-पिता को खतरे के प्रति सचेत रहना चाहिए इसके पीछे। बच्चों को अपने माता-पिता की उपस्थिति में उनके मोबाइल फोन से सूचनात्मक समाचार और वीडियो देखने दें। माता-पिता को कभी भी नाबालिग बच्चों को खुश करने के लिए उन्हें मोबाइल फोन नहीं सौंपना चाहिए। बच्चों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग की अनुमति बिना निगरानी के नहीं देनी चाहिए।”