नूंह हिंसा का शिकार बने होमगार्ड गुरसेवक सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव

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टोहना/हरियाणा: नूंह में ब्रजमंडल यात्रा पर पथराव के बाद भड़की हिंसा का शिकार हुए गांव फतेहपुरी निवासी होमगार्ड जवान गुरसेवक का पार्थिव शरीर देर रात गांव पहुंचा। रात भर पूरा गांव यहां उमड़ा रहा और परिजनों को ढाढस बंधाता रहा। आज सुबह घर से जवान की अंतिम यात्रा शुरू की गई और लोगों ने नम आंखों से गुरसेवक को विदाई दी।

वहीं आज सुबह पार्थिव शरीर के दाह संस्कार के समय विवाद हो गया। अंतिम संस्कार के समय सलामी तो दी गई लेकिन पार्थिव देह के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा नहीं लाया गया।

जिस पर ग्रामीणों व होमगार्ड के अन्य जवानों ने विरोध जताते हुए हंगामा खड़ा कर दिया, जिस कारण घंटाभर के लिए अंतिम संस्कार रोक दिया गया। जवान को विदा करने के लिए सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण, राजनीति दलों के नेता, एसपी आस्था मोदी सहित अनेक प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

बाद में एसपी ने उन्हें आश्वस्त किया और तिरंगा मंगवाया। तिरंगे को जवान के पार्थिव शरीर के ऊपर ओढाया गया, जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए और फिर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की गई। गुरसेवक के 4 वर्षीय बेटे एकम ने मुखाग्नि दी।

तिरंगा न लाने को लेकर भड़के होमगार्ड

अंतिम संस्कार से पहले अंतिम अरदास की गई, फिर सलामी दी गई। इसी दौरान ग्रामीणों व होमगार्ड के जवानों ने तिरंगा न होने पर विरोध शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने कहा कि जब जंग या हिंसा होती है तो जवानों को आगे कर दिया जाता है और अब तिरंगे की बारी आई तो जवान को पीछे कर दिया गया। यहां सभी दलों द्वारा वोट बैंक की राजनीति की जा रही है। तिरंगा ना लाकर उनके जख्मों पर नमक छिड़का गया है।

होमगार्ड जवानों ने जताया ऐतराज

वहीं अपने साथी को विदा करने पहुंचे अन्य होमगार्ड जवानों ने भी इस पर ऐतराज जताते हुए कहा कि, जवान गुरसेवक को तिरंगे में लाना था, जब तक मान सम्मान नहीं होगा, तब तक अंतिम संस्कार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि होमगार्ड जवान को अभी तक शहीद का दरजा नहीं दिया गया, न ही तिरंगे में लाया गया, यह उनके जवान के साथ नाइंसाफी है।

होमगार्ड तन-मन से पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होता है और अब भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया था कि पार्थिव शरीर तिरंगे में लाया जाएगा, लेकिन इसको लेकर जिसकी ड्यूटी थी और जो तिरंगा नहीं लाया, उस पर सख्त कार्रवाई की जाए। यह मजाक नहीं, यह शहादत का अपमान है।

रिपोर्ट- सतीश अरोड़ा

टोहना, हरियाणा