नई दिल्ली: नीति आयोग ने 17 जुलाई को राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (National Multidimensional Poverty Index) की अपनी एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले 5 सालों में यानी 2015-16 और 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए। इसी के साथ बहुआयामी गरीबी वालो व्यक्तियों की संख्या 24.85 प्रतिशत से गिरकर 14.96 प्रतिशत हो गई। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी तीव्रतम गति से 32.59 प्रतिशत से गिरकर 19.28 प्रतिशत हो गई है। रिपोर्ट की मानें तो शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में 3.42 प्रतिशत से गिरावट आई है।
कब हटेगी भारत से गरीबी?
अगर भारत से गरीबी हटाने के लक्ष्य के बारे में बात करें, तो भारत 2030 के निर्धारित समय से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 हासिल करने के पथ पर अग्रसर है। क्योंकि यहां पर सभी 12 एमपीआई संकेतकों में पर्याप्त सुधार पर कार्य किया जा रहा है।
यूपी में सबसे आधिक गिरावट दर्ज
उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई अर्थात् 3.43 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हुए, जिसके बाद बिहार एवं मध्य प्रदेश का स्थान आता है। इन राज्यों से गरीबी हटाने के लिए राष्ट्रीय एमपीआई स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है – जो 12 एसडीजी-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाया गया है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं, सभी में उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं। इन्हीं योजनाओं ने ही गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मोदी सरकार की नीतियों के कारण हुआ संभव- रिपोर्ट
नीति अयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने आयोग की ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023’ रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार की कई नीतियों के कारण लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या जो वर्ष 2015-16 में 24.85% थी गिरकर वर्ष 2019-2021 में 14.96% हो गई जिसमें 9.89% अंकों की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। इस अवधि के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई, इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी तीव्रतम गति से 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है ।
उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए जो कि गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है । 36 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी संबंधी अनुमान प्रदान करने वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तीव्र कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान राज्यों में हुई है।
क्या कहता है MPI?
MPI मूल्य यानी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया है और वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच गरीबी की तीव्रता 47% से घटकर 44% हो गई है, जिसके फलस्वरूप भारत 2030 की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 को हासिल करने के पथ पर अग्रसर है।
इससे सतत और सबका विकास सुनिश्चित करने और वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन पर सरकार का रणनीतिक फोकस और एसडीजी के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का पालन परिलक्षित होता है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार होने के कारण ही भारत में गरीबों की संख्या में कमी आई है। नीति आयोग की रिपोर्ट आप www.niti.gov.in पर देख सकते हैं।