राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका और सरकार की नई दिशा; लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति महत्वपूर्ण कदम- सुनील आंबेकर

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सरकारी कर्मचारियों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने पर लगी 6 दशक पुरानी पाबंदी हटा ली है। इस आदेश के बाद अब सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे।

इस फैसले पर विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस की ओर से विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं। जिनमें आरएसएस और भाजपा के बीच करीबी संबंधों का प्रतीक बताते हुए कहा है कि यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव डाल सकता है।

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है।”

उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रतिबंधित करना निराधार था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।

इस निर्णय के बाद सरकारी कर्मचारियों को अब आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति मिल गई है, जो केंद्र सरकार द्वारा आरएसएस के प्रति अपनाए गए रुख को स्पष्ट करता है।