दुनिया में पर्याप्त तेल उपलब्ध, 39 स्रोतों से भारत खरीद रहा कच्चा तेल है: Hardeep Singh Puri

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नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री Hardeep Singh Puri ने कहा कि देश तेल के विविध स्रोतों के साथ अपनी बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। वैश्विक बाजार में तेल की उपलब्धता पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि भारत ने अपने खरीद आधार का विस्तार किया है। पहले भारत 27 देशों से तेल खरीदता था लेकिन अब 39 देशों से तेल खरीदता है।

वैश्विक आपूर्ति वर्तमान में खपत से अधिक है : Hardeep Singh Puri

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखला में भारत की रणनीतिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा, हम अब 39 स्रोतों से तेल खरीद रहे हैं, पहले हम 27 से खरीद रहे थे। हमारे पास पर्याप्त तेल उपलब्ध है और हमारे पास पर्याप्त विकल्प भी हैं। तेल बाजार में संभावित व्यवधानों के बारे में चिंताओं को संबोधित करते हुए Hardeep Singh Puri ने कहा कि तेल की वैश्विक आपूर्ति वर्तमान में खपत से अधिक है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी ऊर्जा खपत लगातार बढ़ रही है। आज दुनिया में तेल की उपलब्धता जितनी है, खपत भी उतनी ही है। अगर कुछ पक्ष उपलब्धता पर रोक लगाते हैं, तो बाजार में नए आपूर्तिकर्ता भी हैं। अल्पावधि में, मुझे दुनिया में तेल की कोई कमी नहीं दिखती।

अपने उच्च स्तर पर भारत का आयात

जुलाई 2024 में भारत के कुल आयात में रूसी कच्चे तेल का रिकॉर्ड 44 प्रतिशत हिस्सा था, जो 2.07 मिलियन बैरल प्रति दिन (BPD) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। भारतीय शिपमेंट पर व्यापार और उद्योग स्रोतों के आंकड़ों के अनुसार, जून से 4.2 प्रतिशत और पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि है। वहीं क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, भारत की तेल विपणन कंपनियों (OMC) द्वारा वित्त वर्ष 2030 के अंत तक देश की कच्चे तेल शोधन क्षमता को 35-40 मिलियन टन बढ़ाने की उम्मीद है। इससे 2030 तक कुल स्थापित शोधन क्षमता 295 मीट्रिक टन हो जाएगी। यह विस्तार घरेलू तेल मांग में वृद्धि से को दर्शाता है। गौरतलब हो कि मौजूदा रिफाइनरियां पहले से ही 100-103 प्रतिशत क्षमता उपयोग पर काम कर रही हैं।

भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू खपत बढ़ी

पिछले दशक में भारत की शोधन क्षमता में 42 मिलियन टन का विस्तार हुआ, जो वित्त वर्ष 2024 में 257 मीट्रिक टन तक पहुँच गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से बढ़ती घरेलू मांग से के कारण थी। जबकि इस दौरान भारत का निर्यात सालाना 60-65 मीट्रिक टन पर स्थिर रहा। पिछले दस वर्षों में पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू खपत 4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है।

-गौतम कुमार