गगनयान की पहली टेस्टिंग उड़ान में आई तकनीकी खराबी, इसरो चीफ ने बताई वजह

Published

नई दिल्ली/डेस्क: चंद्रयान-3 और सूर्ययान के सफल प्रक्षिप्त होने के बाद, इसरो ने अंतरिक्ष में और आगे बढ़ने का फैसला किया है। आज, गगनयान मिशन के पहले परीक्षण उड़ान का आयोजन किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हुआ। इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि परीक्षण की तैयारियां पूरी थीं, लेकिन इसे अब कुछ समय के लिए स्थगित किया गया है।

जल्द ही हमें इस मामले में अपडेट मिलेगा। आपको बता दें कि इसरो ने श्रीहरिकोटा से सुबह 8:30 बजे को वाहन का परीक्षण उड़ान (टीवी-डी1) का आयोजन किया था। पहले टेस्टिंग के लिए उड़ान का समय 8 बजे तय था, लेकिन ISRO ने उसे बदल दिया।

यह भी बताया गया कि टेस्टिंग के लिए उड़ान का समय सुबह 7 बजे से 9 बजे के बीच किसी भी समय निर्धारित किया गया था। 2025 में आगामी गगनयान मिशन की सफलता के लिए, इसरो ने अगले साल तक कई परीक्षणों की योजना बनाई है। इन परीक्षणों की दिशा में, आज होनी वाली यह पहली टेस्टिंग उड़ान थी।

2025 की शुरुआत में, गगनयान मिशन की लॉन्चिंग से पहले, 21 अक्टूबर का दिन इसरो के लिए महत्वपूर्ण था। शनिवार, 21 अक्टूबर को, श्री हरिकोटा परीक्षण रेंज से गगनयान मिशन के लिए पहली परीक्षण उड़ान को भरने का प्रयास शुरू हो चुका था, काउंटडाउन भी आरंभ हो गया था। लॉन्चिंग के लिए सिर्फ 5 सेकंड बचे थे, लेकिन इसरो ने आज के लिए परीक्षण उड़ान को टाल दिया।

इसरो चीफ ने बताई वजह

ISRO ने गगनयान मिशन के पहले परीक्षण उड़ान को टालने के पीछे की वजह का खुलासा किया है। ISRO चीफ एस सोमनाथ ने एक बयान में कहा कि गगनयान मिशन के तहत ISRO ने 21 अक्टूबर को सुबह व्हीकल टेस्ट फ्लाइट (TV D1) का पहला परीक्षण करने की योजना बनाई थी, लेकिन प्रक्षेपण से पहले सिर्फ पांच सेकंड बचे रहते हुए तकनीकी खामी सामने आई। इंजन चलने में विफल रहा। इसलिए, हमें पता लगाना होगा कि क्या गलत हुआ; लेकिन वाहन सुरक्षित है।”

ISRO गगनयान मिशन के अंतर्गत मानवों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयारी कर रहा है। इस मिशन में अंतरिक्ष यात्री तीन दिन तक अंतरिक्ष में रहकर फिर धरती पर वापस आएंगे। मिशन को सफल बनाने और यात्रीगण को सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लाने के लिए ISRO अब सख्त परीक्षण कर रहा है।

गगनयान परियोजना की विकास में कुल 90 बिलियन रुपये की लागत लगी है ($1 बिलियन; £897 मिलियन). इसका उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रीगण को 400 किमी (248 मील) की ऊंचाई तक भेजना और तीन दिन बाद सुरक्षित रूप से वापस लाना है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत चौथा देश बन जाएगा जो मानवों को अंतरिक्ष में भेज पाएगा है, उससे पहले यह काम रूस (तत्कालीन सोवियत संघ), अमेरिका, और चीन द्वारा किया जा चुका है।

लेखक: करन शर्मा