कैंडिडेट तो खड़ा किया लेकिन ध्वनि मत पर नहीं जताई आपत्ति, जानें क्या थी विपक्ष की रणनीति

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इंडिया अलायंस
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लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला ध्वनिमत से चुने गए। पहले ऐसा लग रहा था कि स्पीकर पर मत विभाजन होगा, लेकिन बिरला ध्वनि मत से निर्वाचित घोषित किए गए। ऐसे में बिरला छठे स्पीकर बन चुके है जो दूसरी बार निर्वाचित हुए है। लोकसभा स्पीकर के चुनाव के दौरान विपक्ष बिखरा हुआ नजर आया। ऐसा लगा कि इंडिया अलायंस ने कांग्रेस का सपोर्ट ही नहीं किया। जिस कारण कांग्रेस को अपना कदम वापस लाना पड़ा। ऐसे में अब लगने लगा है कि 18वीं लोकसभा के पहले संसदीय सत्र की शुरुआत में ही कांग्रेस हार चुकी है।

विपक्ष ने नहीं जताई आपत्ति

स्पीकर चुनाव को लेकर मतदान होने के उम्मीद लगाए जा रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बुधवार सुबह मतदान की नौबत ही नहीं बनीं और ध्वनि मत से ही स्पीकर का चुनाव हो गया। इसपर विपक्ष ने भी आपत्ति नहीं जताई। वहीं, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेताओं का कहना है कि स्पीकर चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करना हमारी रणनीति का हिस्सा है। यह सैध्दांतिक विरोध है और सरकार को यह संदेश दिया गया है कि हम परंपरा तोड़ने के खिलाफ गए है।

प्रोटेम स्पीकर ने ध्वनि मत से चुनाव कराए जाने का किया ऐलान

बुधवार को पीएम मोदी ने सबसे पहले ओम बिरला के नाम स्पीकर के लिए प्रस्ताव रखा। वहीं इस प्रस्ताव का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन किया। गृह मंत्री अमित साह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह के साथ-साथ कई अन्य एनडीए नेताओं ने भी प्रस्ताव रखा। प्रोटेम स्पीकर ने ध्वनि मत से चुनाव कराए जाने का ऐलान किया। इस पर विपक्ष ने आपत्ति नहीं जताई और ना ही मत विभाजन की मांग की।

लेकिन यदि विपक्ष ध्वनि मत का विरोध करता तो पेपर स्लिप के लिए मतदान करवाया जा सकता था। वहीं, विपक्ष ने तय किया था कि ध्वनि मत का विरोध नहीं किया जाएगा। विपक्ष का कहना था कि यह एक वैचारिक संदेश है कि विरोध की आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

लेखक: रंजना कुमारी