Uttar Pradesh News: CM योगी के कारनामे काले वाले बयान पर अखिलेश यादव ने किया पलटवार

Published
Uttar Pradesh News
अखिलेश यादव

Uttar Pradesh News: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि समाजवादी पार्टी के कारनामों से हर कोई परिचित है। पन्नों को पलटेंगे तो काले कारनामों से उनका इतिहास भरा हुआ है। सीएम योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी की टोपी लाल, लेकिन कारनामे काले हैं। सीएम योगी के इस बयान पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पलटवार किया है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर किया पलटवार

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर लिखा, “जनता की संसद का प्रश्नकाल प्रश्न – लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें। उत्तर – रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है। यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं।”

“‘लाल रंग’ मिलन का प्रतीक”

समाजवादी प्रमुख ने आगे लिखा, “प्रश्नगत ‘लाल’ और ‘काले’ रंग के संदर्भ में क्रमवार, इसके कारण निम्नवत हो सकते हैं। ‘लाल रंग’ मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वो अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं। लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसीलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है वो लाल रंग को चुनौती मानते हैं। इसी संदर्भ में ये मनोवैज्ञानिक-मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है।”

काले रंग को लेकर सपा प्रमुख ने क्या कहा?

सपा प्रमुख ने लिखा, “’काला रंग’ भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है जैसे बुरी नजर से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जानेवाला ‘काला’ टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग। जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वो काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं। पश्चिम में काला रंग ‘नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा जैसे तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी। मानवता और सहृदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुँची तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही।”

अपने सोशल मीडिया एक्स पर नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है अत: जिनकी राजनीतिक सोच ‘डर’ और ‘अविश्वास’ जैसे काले-विचारों से फलती-फूलती है, वो इसे सिर पर लिए घूमते हैं। सच तो ये है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं। रंगों के प्रति सकारात्मक विविधता की जगह; जो लोग नकारात्मक विघटन-विभाजन की दृष्टि रखते हैं, उनके प्रति भी बहुंरगी सद्भाव रखना चाहिए क्योंकि ये उनका नहीं, उनकी प्रभुत्ववादी एकरंगी संकीर्ण सोच का कुपरिणाम है।

ऐसे लोगों के मन-हृदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझाना होगा कि ‘काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह’ का महत्व होता है, ये पारस्परिक रंग-संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है। अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं; नज़रिया होता है।

यह भी पढ़ें: Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue Collapsed: छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में हुई पहली गिरफ्तारी