महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अब 4 दिनों से भी कम का समय बचा है, ऐसे में महाराष्ट्र चुनाव में ध्रुवीकरण का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रहा है. एक तरफ जहां बीजेपी ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दे रही है, तो वहीं महा विकास अघाड़ी के खिलाफ वोट जिहाद करने का भी आरोप लगा रही है. बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने “वोट जिहाद” का मुद्दा उठाकर चुनावी माहौल को और गरमा दिया है. सोमैया ने इस मामले में ईडी से शिकायत की थी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हिंदू युवकों के बैंक खातों का दुरुपयोग करके ‘वोट जिहाद’ को वित्तपोषित करने का काम किया जा रहा है.
नासिक मर्चेंट बैंक और BoM में 12 खातों का खुलासा
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि मालेगांव निवासी सीराज मोहम्मद ने 12 हिंदू युवकों को नौकरी का झांसा देकर उनके आधार और पैन कार्ड का उपयोग करते हुए नासिक मर्चेंट को-ऑपरेटिव बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) में फर्जी खाते खुलवाए. इन खातों में लगभग 200 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का भी आरोप है.
इस मामले की शिकायत के बाद ईडी ने महाराष्ट्र और गुजरात के करीब 23 स्थानों पर छापेमारी की थी. जांच में ईडी ने करीब 125 करोड़ रुपये के हवाला नेटवर्क से जुड़े लेन-देन का खुलासा किया. बीजेपी नेता का आरोप है कि इन पैसों का इस्तेमाल चुनावी ध्रुवीकरण और वोट खरीदने के लिए किया गया है. जिसके बाद मालेगांव पुलिस ने सीराज मोहम्मद और बैंक मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया है.
वहीं, पत्रकारों से बात करते हुए, भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि यह धन बिचौलियों, विशेष रूप से महाराष्ट्र में अखिल भारतीय उलेमा बोर्ड और मराठी मुस्लिम सेवा संघ के माध्यम से पहुंचाया जा रहा था. उन्होंने आगे कहा कि इस पैसे का उपयोग 20 नवंबर को होने वाले आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति सरकार के खिलाफ वोटों को वित्तपोषित करना था.
हालांकि, ईडी की जांच में अब तक ऐसा कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिला है जो इन वित्तीय लेन-देन को सीधे वोट खरीदने की गतिविधियों से जोड़ सके. लेकिन बीजेपी नेता सोमैया उन 12 पीड़ितों को भी सामने लाए, जिन्होंने सीराज मोहम्मद की कार्यप्रणाली के बारे में बताया. पीड़ितों ने आरोप लगाया कि मोहम्मद ने उन्हें रोजगार देने का वादा किया था और बैंक खाते खोलने की सुविधा के लिए प्रत्येक को 5,000 रुपये ट्रांसफर किए थे.
बता दें कि इस खुलासे ने महाराष्ट्र चुनावों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बीजेपी ने इसे अपनी ‘बटेंगे तो कटेंगे’ मुहिम का हिस्सा बताते हुए एमवीए पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी स्टंट करार दे रही हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच में और क्या खुलासे होते हैं और इसका चुनावी नतीजों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.