पीएम मोदी के इस बयान के बाद, लोग जानना चाहते हैं कि ईडी द्वारा जब्त संपत्ति का क्या होता है?

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए बयान के बाद, जहां उन्होंने बांग्लादेश के लिए ईडी द्वारा जब्त किए गए धन को गरीबों के बीच बांटने की बात की है, वहीं इस प्रकार की जब्ती की प्रक्रिया और उसके प्रबंधन को लेकर विस्तार से सोचा जा रहा है। पीएम के इस बयान के बाद लोग इस बात को जानना चाहते हैं कि ईडी किस प्रकार संपत्ति को जब्त करती है और उसका उपयोग कैसे होता है। लेकिन इससे पहले जानते हैं कि ईडी द्वारा जब्ती की प्रक्रिया क्या है?

छापेमारी और जब्ती

ईडी द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ आरोपों के आधार पर छापेमारी की जाती है और जब्ती की जाती है। यहां तक कि संदिग्ध लेन-देन, अवैध संपत्ति, वित्तीय अपराध या किसी अन्य विधि के उल्लंघन के मामलों में भी यह प्रक्रिया आयोजित की जाती है।

रिपोर्ट और संविधानिक प्रक्रिया

ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्ति की विस्तार से जांच की जाती है और एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। इस रिपोर्ट में आरोपी व्यक्ति के साथ-साथ ईडी के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के हस्ताक्षर होते हैं। रिपोर्ट तैयार होने के बाद, ईडी पैसे को बैंक में अकाउंट खोलकर जमा करवा देती है और जब्ती के दौरान मिले सामान को लिफाफे में डालकर लॉकर में रख देती है।

जब्ती के बाद क्या होता है?

यह एक बड़ा सवाल है कि जब्ती के बाद क्या होता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्ति पर कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाता है। अगर कोर्ट आरोपी के पैसे को सही मानती है, तो वह पैसे को उसके मालिक को लौटा देती है।

वहीं, अगर कोर्ट में पैसा गलत माना जाता है, तो ईडी उस पैसे को केंद्र सरकार के पास भेज देती है, जिसे पब्लिक मनी कहा जाता है और इसे सामाजिक या विकासात्मक कार्यों में लगाया जाता है।

इस प्रकार, ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्ति का प्रबंधन करते समय कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता है और इसे गलत तरीके से प्रयोग नहीं किया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, अवैध धन के प्रयोग को रोकने और न्यायिक व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जाता है।